शिमला। हिमाचल प्रदेश इस समय मानसून के प्रलयंकारी रूप का सामना कर रहा है। राज्य में बीती रात से जारी मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई है, जिससे सामान्य जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। लगातार हो रही वर्षा के कारण प्रदेश के अधिकांश जिलों में भूस्खलन और बाढ़ जैसे भयावह हालात बन गए हैं, जिसने लोगों के दिलों में दहशत पैदा कर दी है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है।
आपदा के बढ़ते खतरे को देखते हुए, सरकार ने एहतियाती कदम उठाते हुए कई जिलों में सभी स्कूल-कॉलेजों और आंगनबाड़ी केंद्रों में अवकाश घोषित कर दिया है। मौसम विभाग ने भी 12 अगस्त तक राज्य के कई हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी देते हुए ‘येलो अलर्ट’ जारी किया है। विभाग ने लोगों से अनावश्यक यात्रा से बचने और नदी-नालों से दूर रहने की अपील की है।
बारिश का सबसे ज्यादा असर सोलन, शिमला, मंडी, कुल्लू और सिरमौर जिलों में देखने को मिला है। सिरमौर और सोलन में सभी शिक्षण संस्थानों को बंद रखने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा शिमला जिले के ठियोग, चौपाल, रामपुर, और जुब्बल समेत कई उपमंडलों तथा कुल्लू और मंडी के कुछ क्षेत्रों में भी स्कूलों में छुट्टी कर दी गई है।
बुनियादी ढांचे को भारी क्षति, 1852 करोड़ का नुकसान
इस मानसून सीजन में प्रदेश को अब तक 1852 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान हो चुका है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार, लोक निर्माण विभाग (PWD) को सबसे ज्यादा 971 करोड़ रुपये और जलशक्ति विभाग को 633 करोड़ रुपये की क्षति पहुंची है। लगातार हो रही बारिश के कारण यह आंकड़ा और बढ़ने की आशंका है।
भूस्खलन के कारण प्रदेश में संपर्क मार्ग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। बुधवार सुबह तक राज्य में चार राष्ट्रीय राजमार्गों सहित कुल 613 सड़कें यातायात के लिए बंद हो चुकी हैं। मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां अकेले 375 सड़कें बाधित हैं। इसके अलावा कुल्लू में 89 और सिरमौर में 38 सड़कें बंद हैं। शिमला-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर चक्की मोड़ के पास बार-बार हो रहे भूस्खलन से यातायात बाधित हो रहा है।
संपत्ति और सेवाओं पर गहरा असर
प्राकृतिक आपदा का असर लोगों के घरों और आवश्यक सेवाओं पर भी पड़ा है। अब तक प्रदेश में 1738 मकानों को नुकसान पहुंचा है, जिनमें से 463 घर पूरी तरह से ढह गए हैं। मंडी जिले में सबसे अधिक 1102 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके अतिरिक्त, 295 दुकानें और 1610 गौशालाएं भी इस आपदा की भेंट चढ़ चुकी हैं।
बिजली और पानी की आपूर्ति भी चरमरा गई है। राज्य भर में 1491 बिजली ट्रांसफार्मर ठप पड़े हैं, जिससे कई इलाके अंधेरे में डूब गए हैं। वहीं, 265 पेयजल योजनाएं बाधित होने से लोगों को पीने के पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। मानसून के इस सीजन में अब तक बादल फटने की 28, फ्लैश फ्लड की 55 और भूस्खलन की 48 बड़ी घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं, जो इस आपदा की गंभीरता को दर्शाती हैं। प्रशासन युद्ध स्तर पर बचाव और राहत कार्यों में जुटा हुआ है, लेकिन लगातार खराब मौसम चुनौतियों को और बढ़ा रहा है।
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