पौड़ी, उत्तराखंड। देवभूमि उत्तराखंड एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की दोहरी मार झेल रहा है। उत्तरकाशी में हुई हालिया तबाही के बाद अब पौड़ी गढ़वाल जिले में बादल फटने की एक विनाशकारी घटना सामने आई है, जिसने स्थानीय लोगों में भय और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। यह आपदा पौड़ी के थलीसैण विकास खंड स्थित ग्राम सारसों चौथान में घटी, जहाँ अचानक हुए इस वज्रपात ने भारी तबाही मचाई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, घटना स्थल पर सड़क के किनारे कुछ नेपाली मूल के मजदूर अस्थायी टेंटों में अपने परिवारों के साथ रह रहे थे। ये मजदूर वहां सड़क निर्माण या अन्य किसी कार्य के लिए रुके हुए थे। देर रात या तड़के हुए इस हादसे के दौरान जब बादल फटा, तो भारी मात्रा में पानी और मलबा तेज बहाव के साथ पहाड़ से नीचे आया। इस सैलाब का वेग इतना शक्तिशाली था कि उसने मजदूरों के टेंटों को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे वहां सो रहे लोग कुछ समझ पाते, उससे पहले ही वे मलबे के ढेर में दब गए।
इस भयावह मंजर के बीच, स्थानीय ग्रामवासियों ने अदम्य साहस और मानवीयता का परिचय दिया। आपदा की सूचना मिलते ही गांव के लोग बिना किसी सरकारी मदद का इंतजार किए, तुरंत बचाव कार्य में जुट गए। उन्होंने अपने स्तर पर ही फावड़ों और अन्य उपकरणों की मदद से मलबा हटाना शुरू कर दिया। ग्रामीणों की कड़ी मशक्कत के बाद मलबे में दबे 3 से 4 लोगों को जीवित बाहर निकाला गया, जिससे उनकी जान बच सकी। हालांकि, मलबे से निकाले गए इन मजदूरों में से कुछ को गंभीर चोटें आई हैं। ग्रामीणों ने तत्काल मानवीयता दिखाते हुए इन प्रभावित लोगों के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था गांव के ही एक स्कूल भवन में की है, जहाँ उन्हें अस्थायी आश्रय दिया गया है।
घटना की सूचना स्थानीय प्रशासन को दे दी गई है, और बचाव कार्य अभी भी पूरी तेजी से जारी है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि मलबे में अभी भी कुछ और लोग दबे हो सकते हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और स्थानीय पुलिस की टीमें भी मौके पर पहुँचने की तैयारी में हैं ताकि बचाव अभियान को और गति दी जा सके।
यह घटना उत्तराखंड में मानसून के दौरान होने वाले खतरों को एक बार फिर रेखांकित करती है। पहाड़ी ढलानों पर अस्थिर भूमि और भारी बारिश के कारण बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं आम हो जाती हैं, जिसका सबसे ज्यादा खामियाजा अक्सर गरीब और मजदूर वर्ग को भुगतना पड़ता है जो असुरक्षित स्थानों पर रहने को मजबूर होते हैं। फिलहाल, प्रशासन और स्थानीय लोगों का पूरा ध्यान बचाव अभियान पर केंद्रित है, ताकि अगर कोई और व्यक्ति मलबे में फंसा हो तो उसे जल्द से जल्द सुरक्षित निकाला जा सके।
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