उत्तराखंड दौरे पर आए 16वें वित्त आयोग ने राज्य के वित्तीय प्रबंधन की सराहना की है। आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि किसी भी विकासशील राज्य के लिए संतुलित राजकोषीय घाटा चिंता का विषय नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रण में रखना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड वित्तीय चुनौतियों के प्रति जागरूक है और सही दिशा में काम कर रहा है। राज्य अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रयासरत है और इसमें बढ़ोतरी की संभावना है।
उत्तराखंड की अच्छी प्रति व्यक्ति आय:
सोमवार को सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत में डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि उत्तराखंड की प्रति व्यक्ति आय अच्छी है और राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इसे और बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अब तक के सभी वित्त आयोगों ने हिमालयी राज्यों की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखा है।
कर बंटवारे की व्यवस्था:
डॉ. पनगढ़िया ने केंद्र और राज्यों के बीच कर बंटवारे की व्यवस्था को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, कर से प्राप्त आय को केंद्र और राज्यों के बीच विभाजित करने के लिए वित्त आयोग नियम और सूत्र निर्धारित करता है।

राजस्व हिस्सेदारी का निर्धारण:
आयोग ने राजस्व हिस्सेदारी के निर्धारण के लिए निम्नलिखित मानदंड तय किए हैं:
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जनसांख्यिकी प्रदर्शन (कम प्रजनन दर): 12.5%
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आय का अंतर: 45%
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जनसंख्या: 15%
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क्षेत्रफल: 15%
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वन और पारिस्थितिकी: 10%
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कर और राजकोषीय प्रबंधन: 2.5%
स्थानीय निकायों के लिए बजट:
डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि स्थानीय निकायों और पंचायतों के विकास के लिए बजट आवंटन का ध्यान रखा जाता है। यह राज्यों पर निर्भर करता है कि वे आवंटित बजट का उपयोग कैसे करते हैं।
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