मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया और अन्य सदस्यों के साथ बैठक की। इस बैठक में उन्होंने उत्तराखंड की वित्तीय स्थिति, चुनौतियों और विकास आवश्यकताओं पर विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने “ईको सर्विस लागत” के मद्देनजर “इनवायरमेंटल फेडरलिज्म” की भावना के अनुरूप उचित क्षतिपूर्ति की मांग की। उन्होंने “कर-हस्तांतरण” में वन आच्छादन के लिए निर्धारित भार को 20% तक बढ़ाने और वनों के प्रबंधन एवं संरक्षण के लिए विशेष अनुदान देने का भी अनुरोध किया।
उत्तराखंड की प्रगति और चुनौतियाँ:
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड ने वित्तीय प्रबंधन में उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य का बजट एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। नीति आयोग के SDG इंडेक्स में उत्तराखंड अग्रणी राज्य रहा है। बेरोजगारी दर में 4.4% की कमी और प्रति व्यक्ति आय में 11.33% की वृद्धि हुई है। हालांकि, 70% से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वनों से आच्छादित होने के कारण राज्य को वनों के संरक्षण और “ईको सर्विस लागत” जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
शिक्षा और स्वास्थ्य:
मुख्यमंत्री ने बताया कि “इंडस्ट्रियल कन्सेसनल पैकेज” खत्म होने के बाद “लोकेशनल डिस्एडवान्टेज” की भरपाई करना मुश्किल हो रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य में निजी क्षेत्र की भागीदारी सीमित है, जिसके लिए विशेष बजट प्रावधान की आवश्यकता है। राज्य सरकार स्मार्ट क्लास, क्लस्टर स्कूल, दूरस्थ शिक्षा, टेलीमेडिसिन और विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता के माध्यम से इन क्षेत्रों में सुधार के प्रयास कर रही है।
आपदा प्रबंधन और जल संरक्षण:
उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील है, जिसके लिए आर्थिक सहयोग की आवश्यकता है। राज्य में जल स्रोतों के पुनरुद्धार के लिए “सारा” और “भागीरथ ऐप” के माध्यम से जल संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके लिए मुख्यमंत्री ने विशेष अनुदान का अनुरोध किया।
जल विद्युत और पर्यटन:
मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किए जाने के कारण जल विद्युत परियोजनाएँ प्रभावित हुई हैं, जिससे राजस्व और रोजगार को नुकसान हुआ है। उन्होंने प्रभावित परियोजनाओं के लिए क्षतिपूर्ति की मांग की। पर्यटकों की बड़ी संख्या के कारण अतिरिक्त बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है, जिसके लिए विशेष सहायता की मांग की गई।
अन्य सुझाव:
मुख्यमंत्री ने “कर-हस्तांतरण” के मानदंडों में “राजकोषीय अनुशासन” को शामिल करने, “रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट” के स्थान पर “रेवेन्यू नीड ग्रांट” लागू करने और राज्य की भौगोलिक संरचना की जटिलता के कारण बढ़े हुए पूंजीगत व्यय पर विचार करने का सुझाव दिया।
वित्त आयोग का प्रतिसाद:
डॉ. पनगढ़िया ने उत्तराखंड की प्रगति की सराहना की और कहा कि पर्वतीय राज्यों की चुनौतियों के समाधान के लिए व्यापक विचार-विमर्श किया जाएगा। 16वां वित्त आयोग 31 अक्टूबर 2025 तक अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगा। वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने राज्य की चुनौतियों पर एक प्रस्तुति भी दी।
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