नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी अक्सर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारियों पर धाक जमाते हैं. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.
जस्टिस गवई ने अपने अनुभव के आधार पर कहा कि IAS अधिकारी खुद को IPS और IFS अधिकारियों से श्रेष्ठ समझते हैं. उन्होंने कहा, “मेरे बतौर सरकारी वकील के तीन साल के अनुभव और बतौर जज 22 साल के अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूँ कि IAS अधिकारी खुद को IPS और वन विभाग के अधिकारियों की तुलना में श्रेष्ठ दिखाते हैं. ये बात सभी राज्यों में देखी जाती है.” उन्होंने आगे कहा कि इससे IPS और IFS अधिकारियों में असंतोष है क्योंकि वे सभी एक ही कैडर से हैं.
यह मामला कंपेनसेटरी अफोरसेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी (CAMPA) के फंड के कथित दुरुपयोग से संबंधित था. यह फंड वन संसाधनों के संरक्षण के लिए होता है. याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस फंड का इस्तेमाल अस्वीकार्य कार्यों के लिए किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता व्यक्त की और संबंधित राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.
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