
देहरादून: उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) में हुए 137 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच अब विशेष जांच दल (एसआईएस) करेगा। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। नेहरू कॉलोनी थाने में दर्ज सभी छह मुकदमे और संबंधित दस्तावेज एसआईएस को सौंपे जा रहे हैं। इस मामले में यूपीआरएनएन के पांच पूर्व अधिकारी आरोपी हैं।
नियमों को ताक पर रखकर की गई धांधली:
आरोप है कि यूपीआरएनएन के अधिकारियों ने विभिन्न सरकारी विभागों के निर्माण कार्यों में नियमों का उल्लंघन कर 137 करोड़ रुपये का घोटाला किया। विभागीय जांच में पाया गया कि आरोपी अधिकारियों ने आवंटित धनराशि से अधिक खर्च दिखाया और एक ही कार्य के लिए कई मदों में धनराशि का आवंटन किया। इसके अलावा, बिना माप पुस्तिका (एमबी) के ही 9.93 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिससे निगम को वित्तीय नुकसान हुआ।
विभिन्न मामलों में की गई गड़बड़ी:
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15 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के निर्माण में भूमि उपलब्ध न होने के बावजूद लगभग 6 करोड़ रुपये अन्य कार्यों में खर्च दिखाए गए।
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एकीकृत औद्योगिक आस्थानों में स्ट्रीट लाइट, बैकअप ऊर्जा और एबीसी कंडक्टर लाइन बिछाने के कार्यों में भी वित्तीय अनियमितताएं पाई गईं।
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डिजास्टर रिलीफ सेंटर्स के निर्माण के लिए बिना जमीन अधिग्रहण के ही 4.28 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया।
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पर्यटन विभाग से संबंधित कार्यों को बिना सेंटेज गणना के पूरा कराया गया, जिससे निगम को 1.59 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
आरोपियों पर दर्ज हुए मुकदमे:
इन सभी मामलों में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं। एसआईएस अब इन मामलों की विस्तृत जांच करेगी।