
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सराहना करते हुए उसे मराठी भाषा और संस्कृति से जुड़ने का श्रेय दिया। 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आरएसएस ने युवाओं को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलना 12 करोड़ लोगों की इच्छा पूर्ति:
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके कार्यकाल में मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया जाना एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में 12 करोड़ से ज्यादा मराठी भाषी लोग इसका इंतजार कर रहे थे। उन्होंने इसे अपना सौभाग्य बताया कि उन्हें मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का अवसर मिला।
आरएसएस कर रहा सांस्कृतिक ‘यज्ञ’:
पीएम मोदी ने कहा कि आरएसएस युवाओं को भारत की संस्कृति का उपदेश देने के लिए सांस्कृतिक ‘यज्ञ’ कर रहा है। उन्होंने कहा कि आरएसएस अपनी शताब्दी मना रहा है और साथ ही विवेकानंद की तरह युवाओं को भारत की संस्कृति का उपदेश देने के लिए सांस्कृतिक यज्ञ भी कर रहा है।
शिवाजी महाराज की जयंती और आरएसएस के संस्थापक को याद किया:
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे होने का भी जिक्र किया। उन्होंने आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को भी याद किया, जिन्होंने लगभग 100 वर्ष पहले आरएसएस की स्थापना की थी।
मराठी साहित्य सम्मेलन राष्ट्रीय एकता का प्रतीक:
पीएम मोदी ने कहा कि मराठी साहित्य सम्मेलन सिर्फ एक भाषा या राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्वतंत्रता संग्राम का सार और महाराष्ट्र व देश की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।
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