देवरिया. उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला कारागार में इन दिनों एक अजीब सा तनाव और हड़कंप का माहौल बना हुआ है। यह तनाव किसी कैदी के उपद्रव या सुरक्षा में सेंधमारी के कारण नहीं, बल्कि एक कैदी की कलम और कागज के कारण है। यह कैदी कोई और नहीं बल्कि चर्चित पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर हैं। जमीन के एक प्लॉट की खरीद-बिक्री में कथित जालसाजी के मामले में गिरफ्तार अमिताभ ठाकुर को लखनऊ से देवरिया लाया गया है और यहां जिला कारागार की हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है। लेकिन जेल की सलाखों के पीछे पहुंचने के बाद भी अमिताभ ठाकुर की गतिविधियां जेल प्रशासन के लिए सिरदर्द बनी हुई हैं।
दरअसल, बुधवार को लखनऊ पुलिस ने अमिताभ को न्यायालय में पेश किया था, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। जेल जाते समय अमिताभ अपने साथ ए-4 साइज के करीब 50 से 60 सादे कागज (ब्लैंक पेपर्स) लेकर गए हैं। जेल सूत्रों के मुताबिक, हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद अमिताभ ठाकुर को जब भी थोड़ा समय मिल रहा है, वे कागज और कलम लेकर कुछ न कुछ लिखना शुरू कर दे रहे हैं। सुबह से शाम तक उनका अधिकतर समय लेखन कार्य में ही बीत रहा है।
जेल अधिकारियों और कर्मचारियों की बेचैनी का मुख्य कारण यही ‘रहस्यमयी लेखन’ है। किसी को भी यह पता नहीं चल पा रहा है कि आखिर अमिताभ ठाकुर उन पन्नों पर क्या लिख रहे हैं। जेल प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीरें इसलिए भी गहरी हो गई हैं क्योंकि अमिताभ ठाकुर एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं और वे जेल नियमावली और प्रशासन की कमियों से भली-भांति परिचित हैं। अधिकारियों को डर सता रहा है कि कहीं अमिताभ जेल की अव्यवस्थाओं, खामियों या कमियों को विस्तार से नोट तो नहीं कर रहे हैं। उन्हें आशंका है कि अमिताभ जेल के अंदर की बारीक से बारीक चीजों का ऑब्जर्वेशन कर रहे हैं और उसे शासन स्तर पर शिकायत के रूप में भेज सकते हैं।
यह डर इसलिए भी वाजिब है क्योंकि अमिताभ ठाकुर का स्वभाव व्यवस्था से लड़ने और सवाल उठाने वाला रहा है। अपनी गिरफ्तारी और कस्टडी के दौरान भी वे लगातार पुलिस पर दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे में जेल अधिकारियों को लग रहा है कि उनकी कलम से निकली कोई भी रिपोर्ट या शिकायत उनके लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है। वे इस बात से आशंकित हैं कि कहीं वे अपनी ‘डायरी’ में जेल के अंदर के हालात का ऐसा कच्चा-चिट्ठा न तैयार कर रहे हों, जो बाद में जांच का विषय बन जाए।
फिलहाल, अमिताभ ठाकुर को कड़ी सुरक्षा के बीच अलग बैरक में रखा गया है, लेकिन उनकी खामोशी और लगातार चल रही कलम ने जेल स्टाफ की नींद उड़ा रखी है। अधिकारी उनकी हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं, लेकिन ‘कागज पर क्या लिखा जा रहा है’, यह सवाल अभी भी देवरिया जेल की चारदीवारी के भीतर गूंज रहा है। मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण जेल प्रशासन फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है।
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