देहरादून में चल रहे पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया यानी पीआरएसआई के 47वें वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन विकसित भारत का खाका खींचने पर जोर दिया गया। सम्मेलन में विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि साल 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए केवल नीतियां बनाना ही काफी नहीं है बल्कि उन नीतियों का प्रभावी संवाद भी उतना ही जरूरी है। इस दौरान स्वास्थ्य, मीडिया, संचार और शिक्षा जैसे अहम विषयों पर गहन विचार विमर्श किया गया। वक्ताओं ने एक सुर में कहा कि तकनीकी प्रगति, डिजिटल गवर्नेंस और जनभागीदारी में जनसंचार की भूमिका आने वाले समय में निर्णायक साबित होगी।
सम्मेलन के पहले सत्र में स्वास्थ्य, विज्ञान और सूचना पर फोकस रहा। इस सत्र में स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को पाने के लिए एक मजबूत और सुलभ स्वास्थ्य व्यवस्था अनिवार्य है। उन्होंने उत्तराखंड का उदाहरण देते हुए बताया कि पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में टेलीमेडिसिन और डिजिटल हेल्थ सेवाओं ने बड़ा बदलाव लाया है जिससे अब दूरदराज के इलाकों तक विशेषज्ञों की सेवाएं पहुंच रही हैं। उनका मानना था कि स्वस्थ समाज ही एक सशक्त राष्ट्र की नींव रख सकता है।
मुख्यमंत्री के अपर सचिव बंशीधर तिवारी ने सुशासन और संचार के संबंधों पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि सुशासन की सफलता प्रभावी और पारदर्शी संचार पर निर्भर करती है। सरकारी योजनाएं तभी सफल मानी जाएंगी जब उनकी सही जानकारी जनता तक समय पर पहुंचे। तिवारी ने उत्तराखंड के विकास की तस्वीर पेश करते हुए बताया कि प्रदेश में धार्मिक पर्यटन तेजी से बढ़ा है। इस साल केवल चारधाम में ही पचास लाख से ज्यादा श्रद्धालु आए हैं। इसके अलावा मानस मंदिरमाला, आदि कैलाश और जागेश्वर धाम का विकास भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर साल सात से आठ करोड़ पर्यटक आ रहे हैं जिससे जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी हुई है। साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में रिवर्स माइग्रेशन को बढ़ावा देने के लिए स्वरोजगार की 35 नीतियां तैयार की गई हैं।
यूकॉस्ट के महानिदेशक दुर्गेश पंत ने विज्ञान और नवाचार को विकसित भारत की आधारशिला बताया। उन्होंने युवाओं से वैज्ञानिक सोच अपनाने की अपील की। सत्र का संचालन कर रहे वरिष्ठ पत्रकार संजीव कंडवाल ने मीडिया को शासन और समाज के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी बताया और संतुलित पत्रकारिता पर जोर दिया।
दूसरे सत्र में मीडिया, शिक्षा और लोकतंत्र पर चर्चा हुई। लोक सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक नितिन उपाध्याय ने सूचना के प्रभावी प्रसार को शासन की सफलता की कुंजी बताया। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए सरकारी योजनाओं को पारदर्शिता के साथ जनता तक पहुंचाया जा रहा है। सीआईएमएस कॉलेज के चेयरमैन ललित जोशी ने शिक्षा और मीडिया के समन्वय की बात की और युवाओं को नशे से दूर रहने की सलाह दी।
एनडीटीवी के सीनियर एडिटर हिमांशु शेखर ने फेक न्यूज को डिजिटल युग की बड़ी चुनौती करार दिया और मीडिया की विश्वसनीयता बनाए रखने पर जोर दिया। न्यूज 18 के एडिटर अनुपम त्रिवेदी ने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और खबरों की गति के साथ उनकी सटीकता भी महत्वपूर्ण है। आईआईएमसी की प्रोफेसर सुरभि दहिया ने संचार शिक्षा में नैतिकता और सामाजिक समझ को शामिल करने की वकालत की। सम्मेलन का निष्कर्ष यही रहा कि विकसित भारत का सपना प्रभावी संवाद और जिम्मेदार नागरिकता से ही साकार होगा।