
देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लिव-इन रिलेशनशिप के मुद्दे पर सरकार का रुख़ स्पष्ट करते हुए कहा कि हालांकि यह राज्य की संस्कृति का हिस्सा नहीं है, लेकिन सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करती है। इसीलिए लिव-इन में रहने वाले लोगों को इसकी जानकारी सरकार को देनी होगी। सरकार का उद्देश्य लिव-इन में रहने वाले लोगों, खासकर महिलाओं, की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
हिंसक घटनाओं को रोकने की कोशिश:
मुख्यमंत्री धामी ने विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप के कई मामलों में रिश्ते खराब होने, हिंसक घटनाओं और यहाँ तक कि हत्या जैसे गंभीर मामले भी सामने आए हैं. ऐसे में लिव-इन में रहने वालों की जानकारी पंजीकृत होना ज़रूरी है ताकि ज़रूरत पड़ने पर उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि लिव-इन में रहने वालों के माता-पिता को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए.
समान नागरिक संहिता पर कांग्रेस पर निशाना:
मुख्यमंत्री धामी ने समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट पर कांग्रेस को निशाना साधते हुए कहा कि ड्राफ्ट बनाते समय कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों को सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया गया था. इस विधेयक को जनता का समर्थन मिला है और यह संविधान के अनुरूप है. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस को महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है और वह बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान को नहीं मानती.
भू-कानून में जनता की भावनाओं का सम्मान:
भू-कानून के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए भू-कानून में कई प्रावधान किए हैं. प्रदेश की जनता लंबे समय से भू-कानून में बदलाव की मांग कर रही थी. सरकार ने गैरसैंण में हुए सत्र के बाद हितधारकों, विशेषज्ञों और आम जनता से सुझाव लिए थे. सभी ज़िलों के ज़िलाधिकारियों ने भी अपने-अपने ज़िलों में लोगों से सुझाव लिए. इन्हीं सुझावों के आधार पर यह कानून बनाया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक मज़बूत भू-कानून होगा जो राज्य स्थापना के बाद से आई मुश्किलों का समाधान करेगा.
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