नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बातचीत में चीन सीमा विवाद प्रमुखता से उठा। चीन की विस्तारवादी नीतियाँ भारत के लिए चिंता का विषय रही हैं, खासकर डोकलाम विवाद के बाद से।
ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश, भारत का द्विपक्षीय समाधान पर ज़ोर:
राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन-भारत सीमा विवाद में मध्यस्थता की पेशकश की, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि वह द्विपक्षीय तरीके से ही इस मुद्दे को सुलझाना चाहता है। ट्रंप ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सीमा पर हुई झड़पें हिंसक थीं और वह मदद के लिए तैयार हैं। पिछले महीने भी ट्रंप ने सीमा विवाद में मदद की इच्छा जताई थी।
भारत का रुख़:
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दोहराया कि भारत पड़ोसी देशों के साथ सारे मुद्दों को द्विपक्षीय बातचीत से हल करने में यकीन रखता है। भारत ने ट्रंप की पाकिस्तान के साथ मध्यस्थता की पेशकश को भी इसी आधार पर ठुकरा दिया था।
गाजा पर ट्रंप का बयान:
ट्रंप ने गाजा में अमेरिकी सेना भेजने और पुनर्विकास का एलान किया है, लेकिन फलस्तीनियों को वहाँ से निकालने की बात पर दुनियाभर में विवाद खड़ा हो गया है।
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