नई दिल्ली: मंदिर-मस्जिद विवादों पर सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान के बाद आरएसएस ने अपना रुख स्पष्ट किया है। भागवत द्वारा कुछ लोगों पर ऐसे मुद्दे उठाकर “हिंदुओं के नेता” बनने की कोशिश करने का आरोप लगाए जाने के बाद, आरएसएस से जुड़ी पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ के नए अंक में इस विषय पर विस्तार से चर्चा की गई है।
‘ऑर्गनाइजर’ ने क्या कहा?
‘ऑर्गनाइजर’ के संपादकीय में कहा गया है कि सोमनाथ से लेकर संभल और उससे आगे, ऐतिहासिक सत्य को जानने की यह लड़ाई धार्मिक वर्चस्व की नहीं, बल्कि सभ्यतागत न्याय की है। यह राष्ट्रीय पहचान की पुष्टि और ऐतिहासिक सत्य की खोज के बारे में है।
संपादकीय में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि हिंदू-मुस्लिम विवाद बढ़ाने के बजाय, समाज के सभी वर्गों को शामिल करते हुए सत्य इतिहास पर आधारित सभ्यतागत न्याय की खोज पर एक विवेकपूर्ण और समावेशी बहस की आवश्यकता है।
मोहन भागवत ने क्या कहा था?
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने पिछले हफ्ते देश में बढ़ रहे मंदिर-मस्जिद विवादों पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोग ऐसे मुद्दे उठाकर “हिंदुओं के नेता” बनने का प्रयास कर रहे हैं।
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