सैन फ्रांसिस्को: अमेरिका ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त की है और अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस से इस मामले में तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने यूनुस से फोन पर बातचीत के दौरान हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी कदम उठाने पर ज़ोर दिया।
सभी धर्मों के मानवाधिकारों की रक्षा की प्रतिबद्धता
व्हाइट हाउस द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने सभी धर्मों के लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा और सम्मान के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। यह फोन कॉल बाइडेन प्रशासन द्वारा डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता हस्तांतरण से ठीक पहले की गई है, जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।
जयशंकर के अमेरिकी दौरे के बीच उठाया गया मुद्दा
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के छह दिवसीय अमेरिकी दौरे के दौरान भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया है. माना जा रहा है कि जयशंकर ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मामला उठाया है।
अमेरिकी सांसद ने भी जताई चिंता
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद श्री थानेदार ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई है। उन्होंने व्हाइट हाउस से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। थानेदार ने कहा कि अमेरिका का इतिहास उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने का रहा है और उसे इस बार भी मानवाधिकारों की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए।
बांग्लादेश में हिंसा जारी
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले जारी हैं. पिछले दो हफ्तों में कई हिंसक घटनाएं हुई हैं. हिंदू एक्शन के कार्यकारी निदेशक उत्सव चक्रवर्ती ने कहा कि पिछले साढ़े पांच महीनों में बांग्लादेश में जो हुआ है, वह दिखाता है कि मोहम्मद यूनुस सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही है। चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि जमात-ए-इस्लामी के लोग मंदिरों पर हमले कर रहे हैं, लोगों को मार रहे हैं, महिलाओं के साथ बलात्कार कर रहे हैं, और हिंदू पुजारियों और नेताओं को कैद करके उन पर अत्याचार कर रहे हैं।
अमेरिका की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई
अमेरिका द्वारा बांग्लादेश सरकार को दी गई फटकार और जयशंकर के अमेरिकी दौरे के बाद यह देखना होगा कि बांग्लादेश सरकार हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाती है। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच, बांग्लादेश सरकार पर इस मामले में ठोस कार्रवाई करने का दबाव बढ़ सकता है।
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