वाशिंगटन: अमेरिका में नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेंगे। इस बार उनके प्रशासन के पहले कदमों में से एक विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका को अलग करने का फैसला हो सकता है। ट्रंप ने पूर्व में WHO को “चीन की कठपुतली” बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है, खासकर कोविड-19 महामारी से निपटने के तरीके को लेकर।
ट्रंप की ट्रांजिशन टीम कर रही है तैयारी
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के ग्लोबल हेल्थ प्रोफेसर लॉरेंस गोस्टिन के अनुसार, ट्रंप की ट्रांजिशन टीम WHO से अलग होने की तैयारी कर रही है। गोस्टिन का मानना है कि ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन या उसके कुछ दिनों के भीतर ही यह घोषणा कर सकते हैं। हालांकि, ट्रंप या उनकी टीम की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
अमेरिकी स्वास्थ्य नीति में बड़ा बदलाव
अगर अमेरिका WHO से अलग होता है, तो यह उसकी वैश्विक स्वास्थ्य नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा। अमेरिका WHO का सबसे बड़ा वित्तीय योगदानकर्ता रहा है, और इसका अलग होना संगठन के संसाधनों और कार्यक्रमों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। इससे भविष्य में वैश्विक स्वास्थ्य संकटों से निपटने की अंतरराष्ट्रीय क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।
2020 में भी लिया था WHO से अलग होने का फैसला
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने WHO से अलग होने का प्रयास किया है। 2020 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, उन्होंने संगठन से अमेरिका को अलग करने की घोषणा की थी, लेकिन जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद यह फैसला पलट दिया गया था।
चीन पर WHO की कथित नरमी को लेकर ट्रंप की आलोचना
ट्रंप ने WHO पर कोविड-19 महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार नहीं ठहराने का आरोप लगाया है। उनका मानना है कि संगठन चीन के प्रति नरम रवैया अपनाता है।
वैक्सीन विरोधी स्वास्थ्य मंत्री की नियुक्ति पर विवाद
ट्रंप ने रॉबर्ट कैनेडी जूनियर को स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त किया है, जिनके वैक्सीन विरोधी विचारों के कारण यह नियुक्ति विवादों में घिरी है। कैनेडी का दावा है कि टीके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
WHO से अलग होने के फैसले के वैश्विक परिणाम
अगर ट्रंप WHO से अलग होने का फैसला लेते हैं, तो इसके वैश्विक स्वास्थ्य पर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग और स्वास्थ्य संकटों से निपटने की तैयारियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह देखना होगा कि ट्रंप प्रशासन इस मामले में आगे क्या कदम उठाता है।
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