नई दिल्ली। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में आज बुधवार भी सुनवाई जारी रहेगी। केंद्र सरकार ने सुनवाई को लेकर आपत्ति उठा रहा है। सरकार कोर्ट द्वारा की जा रही सुनवाई से पहले चाहती है कि कौन से मंच पर इस मुद्दे पर बहस हो सकती है। सरकार का यह भी कहना है कि यह मामला विधाियका का है। सरकार ने सुनवाई पर सवाल खड़ा किया है कि क्या अदालत वैवाहिक रिश्ते की सामाजिक और कानूनी मान्यता न्यायिक फैसले के जरिये तय कर सकती है।
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केंद्र सरकार का कहना है कि ऐसे में कोर्ट पहले सरकार की ओर से सुनवाई को लेकर उठाई गई आपत्तियों पर विचार करे, केस की मेरिट पर बाद में सुनवाई की जाए। लेकिन कोर्ट ने केंद्र सरकार की मांग अनसुनी करते हुए कहा कि वह पहले याचिकाकर्ता को सुनेंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने केस की मेरिट पर सुनवाई शुरू कर दी। कोर्ट ने साफ कर दिया कि वह पर्सनल लॉ पर विचार नहीं करेगा। केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता लगातार केंद्र की आपत्तियों पर पहले सुनवाई के लिए जोर देते रहे और राज्यों को भी नोटिस जारी कर पक्षकार बनाने की मांग की, लेकिन संविधान पीठ की अगुआई कर रहे प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह यहां के प्रभारी हैं और वह ही तय करेंगे कि वह पहले याचिकाकर्ता को सुनेंगे। वह किसी को भी यह तय करने की अनुमति नहीं देंगे कि इस अदालत में कार्यवाही कैसे होगी।सालिसिटर जनरल ने याचिकाओं की सुनवाई पर अपनी आपत्तियां बरकरार रखीं और कोर्ट की नाराजगी पर भी हल्की फुल्की टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट में करीब 20 याचिकाएं लंबित हैं जिनमें समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग की गई है।