Himachal: हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का सरकार ने रखा लक्ष्य – The Hill News

Himachal: हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का सरकार ने रखा लक्ष्य

शिमला। हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में ग्रामीण आबादी की अहम भूमिका को समझते हुए राज्य सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाया है। नई दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कृषि आज भी राज्य की रीढ़ बनी हुई है क्योंकि लगभग 90 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है और करीब 53.95 प्रतिशत लोग सीधे तौर पर खेती और उससे जुड़े कार्यों पर निर्भर हैं। सरकार का लक्ष्य है कि समावेशी और टिकाऊ विकास के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना उनकी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उन्होंने दावा किया कि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार किसानों और ग्रामीण परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कई साहसिक और निर्णायक कदम उठाए गए हैं। इनमें प्राकृतिक खेती से पैदा होने वाली फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी शुरू करना, बागवानों के हितों की रक्षा के लिए सेब के यूनिवर्सल कार्टन की अधिसूचना जारी करना और किसानों को अतिरिक्त आय देने के लिए गाय का गोबर खरीदने जैसी अनूठी पहल शामिल हैं। इन अभूतपूर्व उपायों का उद्देश्य ग्रामीण आबादी को अधिकतम लाभ पहुंचाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।

इस दिशा में आगे बढ़ते हुए राज्य सरकार ने 9.61 लाख किसान परिवारों को प्राकृतिक खेती के दायरे में लाने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस बदलाव को आसान बनाने के लिए किसान हितैषी योजनाओं का एक व्यापक ढांचा तैयार किया गया है। इसके परिणामस्वरूप राज्य भर में लगभग 2 लाख 22 हजार 893 किसानों और बागवानों ने पूरी तरह या आंशिक रूप से प्राकृतिक खेती अपना ली है जो करीब 38 हजार 437 हेक्टेयर भूमि पर की जा रही है। इससे न केवल लागत कम हो रही है बल्कि मिट्टी की सेहत भी सुधर रही है।

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक बड़ी उपलब्धि का जिक्र करते हुए बताया कि 15 अप्रैल 2025 को चंबा जिले के जनजातीय पांगी उपमंडल को आधिकारिक तौर पर प्राकृतिक खेती उपमंडल घोषित किया गया था। हिमाचल प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने प्राकृतिक खेती से उगाई गई उपज के लिए एमएसपी तय किया है। प्राकृतिक रूप से उगाए गए मक्का और गेहूं का एमएसपी पहले 30 और 40 रुपये था जिसे बढ़ाकर अब 40 और 60 रुपये प्रति किलो कर दिया गया है। इसके अलावा कच्ची हल्दी, जौ और फलों के समर्थन मूल्य में भी भारी बढ़ोतरी की गई है।

भुगतान में पारदर्शिता लाने के लिए डीबीटी के माध्यम से पैसा सीधे किसानों के खातों में भेजा जा रहा है। सरकार ने प्राकृतिक खेती के इनपुट्स तैयार करने के लिए ड्रम पर सब्सिडी, गौशाला सुधार के लिए 8 हजार रुपये तक की सहायता और देसी गाय खरीदने के लिए 25 हजार रुपये तक की सब्सिडी देने की भी व्यवस्था की है। साथ ही ‘हिम उन्नति’ जैसी क्लस्टर आधारित पहल और केसर व हींग की खेती को बढ़ावा देने से हिमाचल प्रदेश आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

 

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