शिमला। हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित अस्पताल इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल यानी आईजीएमसी में सोमवार को एक शर्मनाक घटना सामने आई। यहां एक सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर और मरीज के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि नौबत लात घूंसों तक आ पहुंची। इस मारपीट के मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है और स्वास्थ्य विभाग ने भी सख्त कदम उठाते हुए आरोपी डॉक्टर राघव को निलंबित कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्री के आदेश पर हुई इस कार्रवाई के बाद डॉक्टर की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया था जिसकी सिफारिश पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई है। अब यह पूरा मामला अनुशासनात्मक कमेटी को सौंप दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टर के खिलाफ और भी कड़े एक्शन लिए जा सकते हैं यहां तक कि उनकी बर्खास्तगी भी संभव है।
घटना के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक कुपवी के रहने वाले अर्जुन पंवार एंडोस्कोपी कराने के लिए आईजीएमसी आए थे। डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें आराम करने की सलाह दी थी। सांस लेने में तकलीफ महसूस होने पर अर्जुन पास के ही एक वार्ड में चले गए और वहां खाली बेड देखकर लेट गए। इसी दौरान करीब साढ़े 12 बजे वहां पहुंचे डॉक्टर राघव ने उनसे पूछा कि वह यहां कैसे आ गए। मरीज के परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और जब मरीज ने सम्मानजनक व्यवहार की मांग की तो डॉक्टर ने उनकी पिटाई शुरू कर दी।
परिजनों का यह भी आरोप है कि बीच बचाव करने आए लोगों को भी डॉक्टर ने फटकार लगाई। दूसरी तरफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने अपने साथी का बचाव करते हुए कहा है कि पहले मरीज ने डॉक्टर के साथ बदतमीजी की थी जिसके बाद विवाद बढ़ा। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही माहौल गरमा गया और मरीज के परिजन व स्थानीय लोग बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंचकर नारेबाजी करने लगे।
शाम को हालात और तनावपूर्ण हो गए जब जांच कमेटी के कक्ष के बाहर रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के सदस्य और मरीज के तीमारदार आमने सामने आ गए। दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की और हाथापाई की नौबत आ गई जिसे पुलिस ने संभाला। पीड़ित मरीज अर्जुन का कहना है कि डॉक्टर को बर्खास्त किया जाना चाहिए क्योंकि निलंबन के बाद वे वापस आ जाएंगे और फिर से ऐसा व्यवहार करेंगे। स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने साफ कर दिया है कि मरीजों के साथ दुर्व्यवहार कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पुलिस से निष्पक्ष जांच के लिए कहा गया है।