चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने बिजली विभाग के ढांचे में एक बड़ा और महत्वपूर्ण प्रशासनिक बदलाव किया है। सरकार ने एक आदेश जारी करके पावरकाम के चेयरमैन कम मैनेजिंग डायरेक्टर यानी सीएमडी के पद के लिए तय नियमों में संशोधन कर दिया है। आज जारी की गई इस नई अधिसूचना के मुताबिक अब सीएमडी के पद के लिए प्रमुख सचिव के साथ-साथ सचिव पद के आईएएस अधिकारी भी योग्य माने जाएंगे। यह फैसला बिजली बोर्ड के इंजीनियरों के लिए चौंकाने वाला है क्योंकि यह पुराने समझौतों से अलग है।
जब बिजली बोर्ड को दो निगमों में बांटा गया था तब सरकार और बिजली बोर्ड के इंजीनियरों के बीच एक स्पष्ट समझौता हुआ था। इसके तहत यह तय किया गया था कि पावरकाम का सीएमडी या तो कोई टेक्नोक्रेट होगा या फिर प्रमुख सचिव या अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक का कोई वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ही इस पद को संभालेगा। पंजाब सरकार अब तक इसी समझौते पर अमल करती आ रही थी लेकिन इस नए आदेश ने पुरानी परंपरा को बदल दिया है।
मामले की जड़ें फरवरी 2025 में जुड़ी हैं जब पावरकाम के सीएमडी बलदेव सिंह सरां रिटायर हो गए थे। उस समय सरकार ने बिजली विभाग के प्रमुख सचिव एके सिन्हा को इसका अतिरिक्त प्रभार दे दिया था। लेकिन दो महीने पहले उन्हें हटाकर सचिव रैंक के अधिकारी बसंत गर्ग को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई। इस नियुक्ति को इंजीनियरों ने अदालत में चुनौती दे दी। अदालत ने 20 नवंबर को राज्य सरकार के मुख्य सचिव से एफिडेविट मांगते हुए पूछा था कि क्या सीएमडी की पोस्ट आईएएस के लिए है और अगर नहीं है तो एक स्वायत्त संस्था का प्रमुख एक आईएएस अधिकारी को कैसे बनाया गया।
सूत्रों का कहना है कि अदालत में जवाब देने से पहले ही सरकार ने एक रणनीतिक कदम उठाते हुए आज एक अधिसूचना जारी कर दी। इसमें पुरानी नोटिफिकेशन को संशोधित कर दिया गया है जिसमें सीएमडी पद के लिए नियम और शर्तें थीं। अब नए नियमों के तहत सीएमडी के लिए सचिव रैंक के आईएएस अधिकारी को भी नियुक्त किया जा सकता है। हालांकि पूर्व इंजीनियरों ने इसे सरकार और इंजीनियरों के बीच हुए पुराने समझौते का खुला उल्लंघन बताया है और वे इससे नाखुश नजर आ रहे हैं।