नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने ऑनलाइन मनी गेम्स के खिलाफ अपनी कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बेहद गंभीर और चिंताजनक तथ्य पेश किए हैं। सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया है कि ऑनलाइन गेमिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला किसी जल्दबाजी में नहीं लिया गया था बल्कि इसके पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े बहुत ही ठोस कारण मौजूद हैं। सरकार ने अपने हलफनामे में स्पष्ट किया है कि ऑनलाइन गेमिंग के तार अब आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी देश विरोधी गतिविधियों से जुड़ते नजर आ रहे हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बताया बड़ा खतरा
अदालत में मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से दलील दी गई कि जांच एजेंसियों को ऐसे कई पुख्ता सबूत मिले हैं जो इशारा करते हैं कि ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल टेरर फंडिंग यानी आतंकवादियों को पैसा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। यह मामला अब केवल मनोरंजन, इंटरनेट के इस्तेमाल या जुए तक सीमित नहीं रह गया है बल्कि यह देश की सार्वजनिक व्यवस्था और राज्य की अखंडता के लिए सीधा खतरा बन चुका है। सरकार ने जोर देकर कहा कि देश की सुरक्षा को दांव पर लगाने वाली किसी भी गतिविधि को संचालित होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसी वजह से सरकार ने इन गेम्स पर पाबंदी लगाने का सख्त निर्णय लिया है।
फर्जी खातों के जरिए देश से बाहर भेजा जा रहा पैसा
केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि संदिग्ध वित्तीय लेन-देन की जांच में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। जांच में पता चला है कि ऑनलाइन गेमिंग चलाने वाली कई कंपनियां ऐसे छोटे देशों से संचालित (ऑपरेट) हो रही हैं जहां के नियम-कानून ज्यादा सख्त नहीं हैं। ये कंपनियां भारत के अंदर अपनी जड़ें जमा रही हैं। इसके लिए भारत में फर्जी या डमी व्यक्तियों के नाम पर बैंक खाते खोले जाते हैं। इन खातों के जरिए भारत के लोगों से पैसा इकट्ठा किया जाता है और फिर उसे गलत तरीके से देश की सीमाओं से बाहर भेज दिया जाता है। सरकार के मुताबिक यह पूरा नेटवर्क मनी लॉन्ड्रिंग का एक बड़ा जरिया बन गया है जिसे रोकना अत्यंत आवश्यक है।
कानून बनाने का अधिकार संसद के पास
सरकार ने संवैधानिक स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि ऑनलाइन गेमिंग जैसे विषयों पर उचित कानून बनाने का विशेष अधिकार देश की संसद के पास सुरक्षित है। इसी अधिकार का प्रयोग करते हुए सरकार इस अवैध कारोबार पर नकेल कस रही है। केंद्र ने जानकारी दी कि इस समस्या से निपटने और ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने के उद्देश्य से सरकार ‘प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट’ लेकर आई थी। इस महत्वपूर्ण कानून को राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी भी मिल चुकी है। हालांकि इसे अभी तक आधिकारिक तौर पर अधिसूचित नहीं किया गया है लेकिन यह इस विषय पर सरकार की गंभीरता और मंशा को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रतिबंध पर जताई गई आपत्ति के जवाब में केंद्र ने अपना पक्ष मजबूती से रखा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता।
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