शिमला। हिमाचल प्रदेश में कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों (वीसी) की नियुक्ति प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। मंगलवार को प्रदेश विधानसभा में हिमाचल प्रदेश कृषि, उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया, जिसके बाद अब इन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति राज्य सरकार की राय और बनाए गए नियमों के आधार पर ही की जाएगी। यह निर्णय राजभवन और राज्य सरकार के बीच कुलपति की नियुक्ति को लेकर चल रहे टकराव के बीच आया है।
दरअसल, यह विधेयक का प्रारूप वही है जो साल 2023 में पारित किया गया था। इस नए विधेयक के पारित होने से पहले, वर्ष 2024 के हिमाचल प्रदेश कृषि, औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक को वापस ले लिया गया। वर्ष 2023 में, राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश कृषि, उद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय संशोधन अधिनियम की धारा-24 में संशोधन करते हुए एक विधेयक पेश किया था। इसे सदन में पारित होने के बाद राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया था।
हालांकि, यह विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के लिए लंबित था, क्योंकि राज्यपाल ने इस पर कुछ आपत्तियां लगाई थीं और इसे सरकार को वापस भेज दिया था। इन आपत्तियों को दुरुस्त करने के लिए, वर्ष 2024 में इसी से संबंधित एक और विधेयक सदन में पेश किया गया और पारित करवाया गया। वर्ष 2023 के विधेयक में धारा 24 में यह प्रावधान जोड़ा गया था कि विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति राज्य सरकार की मदद और सलाह से की जाएगी, और यह नियुक्ति उन नियमों के अनुसार होगी जो बाद में बनाए जाएंगे।
राज्यपाल ने इस विधेयक की उपधारा दो के लोप (हटाने) पर आपत्ति की थी। इसके स्थान पर उन्होंने इसे उच्च कृषि शैक्षणिक संस्थान मॉडल एक्ट 2023 के अनुसार करने की बात कही थी। इस मॉडल एक्ट के अनुसार, कुलपति के चयन के लिए बनी सर्च कमेटी में कृषि विज्ञान में शिक्षाविद् कुलपति होना चाहिए। कमेटी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का डीजी अथवा डीडीजी स्तर का एक नॉमिनी, हिमाचल सरकार का एक प्रतिनिधि (जो कुलपति से नीचे की रैंक का न हो), और चांसलर यानी राज्यपाल का एक नॉमिनी (जो कुलपति से नीचे के स्तर का न हो) शामिल होगा।
यह विधेयक भी जब राज्यपाल को भेजा गया, तो इसे राजभवन ने राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया, जहां यह लंबित था। इसी बीच, 29 जुलाई 2025 को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया कि वर्ष 2024 के विधेयक को वापस लेकर 2023 के मूल विधेयक को दोबारा पारित करवाया जाए।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में पिछले कई दिनों से राजभवन और राज्य सरकार के बीच कुलपति की नियुक्ति को लेकर टकराव की स्थिति बनी हुई थी। राजभवन ने दोनों विश्वविद्यालयों में वीसी की नियुक्ति के लिए विज्ञापन नोटिस जारी कर दिया था, लेकिन सरकार ने इसे रद्द कर दिया। इसके बाद राजभवन ने विज्ञापन नोटिस की अवधि बढ़ा दी थी। यह मामला हाईकोर्ट तक भी पहुंचा, जहां से इस विज्ञापन नोटिस पर रोक लगा दी गई। अब मंगलवार को विधानसभा में वर्ष 2023 के विधेयक को पुनः पारित कर दिया गया है, जिससे कुलपति की नियुक्ति में राज्य सरकार की भूमिका स्पष्ट हो गई है।
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