US: अमेरिकी दावों की IAEA ने खोली पोल, कहा- “ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म नहीं हुआ

नई दिल्ली। ईरान और पश्चिमी देशों के बीच परमाणु विवाद ने एक नया और चिंताजनक मोड़ ले लिया है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने अमेरिकी दावों को चुनौती देते हुए एक बड़ी चेतावनी जारी की है। ग्रॉसी के अनुसार, हालिया अमेरिकी हमलों के बावजूद ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म नहीं हुआ है और तेहरान महज कुछ ही महीनों के भीतर दोबारा यूरेनियम संवर्धन शुरू करने की क्षमता रखता है। यह बयान पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे के ठीक विपरीत है, जिसमें उन्होंने कहा था कि हमलों ने ईरान को ‘दशकों’ पीछे धकेल दिया है।

IAEA प्रमुख ने स्पष्ट किया कि ईरान के पास आवश्यक तकनीक, विशेषज्ञता और औद्योगिक ढांचा अभी भी मौजूद है। उन्होंने कहा कि सिर्फ सैन्य हमलों के भरोसे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह नष्ट नहीं किया जा सकता। उनकी यह टिप्पणी ट्रंप प्रशासन के दावों पर गंभीर सवाल खड़े करती है, जो लगातार यह प्रचार कर रहा है कि ईरान के परमाणु हथियार बनाने के सपने को कुचल दिया गया है।

हमलों का मिला-जुला असर

पिछले सप्ताह अमेरिका और उसके सहयोगियों ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया था, जिसका मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गहरी चोट पहुंचाना था। हालांकि, शुरुआती आकलनों से पता चलता है कि हमलों का असर मिला-जुला रहा है। अमेरिकी रक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान का मेटल कन्वर्जन प्लांट तो तबाह हो गया, लेकिन बाकी महत्वपूर्ण ढांचा पूरी तरह नष्ट नहीं हुआ। इस बीच, ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ की एक रिपोर्ट ने भी इस बात की ओर इशारा किया था कि खुद ईरानी अधिकारी आपसी बातचीत में नुकसान को उम्मीद से कम बता रहे थे।

IAEA की कड़ी चेतावनी और वैश्विक चिंता

राफेल ग्रॉसी ने इस बात पर जोर दिया कि केवल सैन्य हमले परमाणु प्रसार को रोकने का स्थायी समाधान नहीं हो सकते। उन्होंने कहा, “ईरान के पास औद्योगिक और तकनीकी क्षमता बनी हुई है। अगर वे चाहें तो कुछ ही महीनों में फिर से संवर्धन शुरू कर सकते हैं।” ग्रॉसी ने यह भी खुलासा किया कि IAEA पर यह पुष्टि करने का दबाव है कि ईरान के पास परमाणु हथियार हैं या नहीं, लेकिन उन्होंने साफ किया कि यह तभी संभव है जब अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों को ईरान में जांच की पूरी और बिना शर्त इजाजत मिले।

आईएईए की यह गंभीर चेतावनी ऐसे समय में आई है, जब मध्य पूर्व में ईरान और इस्राइल के बीच तनाव पहले से ही चरम पर है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को फिर से तेज करता है, तो यह न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए, बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाएगा और हथियारों की एक नई दौड़ शुरू हो सकती है।

 

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