शिमला: हिमाचल प्रदेश में 250 करोड़ रुपये से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले की CBI जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि पंजाब और हरियाणा के कई संस्थानों ने फर्जी छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति हासिल की। इन संस्थानों ने हिमाचली छात्रों के नाम पर बैंक खाते खुलवाए और चेकबुक व पासबुक अपने पास रख लीं, ताकि छात्रवृत्ति की राशि सीधे उनके खातों में आ सके।
जांच में 238 निजी संस्थानों की भूमिका सामने आई है, जिनमें से 17 संस्थानों पर 50 से 94 लाख रुपये की छात्रवृत्ति हड़पने का आरोप है। इन संस्थानों ने फर्जी छात्रों को दिखाकर यह राशि हासिल की, जबकि वास्तव में इतने छात्र थे ही नहीं।
निजी संस्थानों ने ली 88% राशि:
CBI जांच में यह भी पाया गया है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत जारी कुल राशि का 88 प्रतिशत हिस्सा निजी संस्थानों ने लिया, जबकि सरकारी संस्थानों को केवल 12 प्रतिशत राशि ही मिली।
इन संस्थानों के खिलाफ दर्ज हुए मामले:

CBI ने हिमाचल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी कांगड़ा, वेस्टवुड इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट जीरकपुर (पंजाब), भाई गुरदास इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी संगरूर (पंजाब), आर्यन ग्रुप ऑफ कॉलेज राजपुरा (पंजाब) और हरियाणा के अंबाला स्थित ई-मैक्स ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं।
छात्रों से पूछताछ में हुआ खुलासा:
CBI ने कई छात्रों से पूछताछ की, जिसमें कई गड़बड़ियां सामने आईं। उदाहरण के लिए, आर्यन ग्रुप ऑफ कॉलेज राजपुरा के 28 छात्रों में से कुछ ने बताया कि वे कभी छात्रावास में रहे ही नहीं, फिर भी उन्हें छात्रावास में रहने वाला दर्शाया गया। वेस्टवुड इंस्टीट्यूट ने 9 छात्रों को छात्रावास में रहने वाला दिखाया, जबकि वे डे स्कॉलर थे। भाई गुरदास इंस्टीट्यूट के 17 छात्रों ने बताया कि वे न तो कक्षाओं में गए और न ही परीक्षा दी, फिर भी उनके नाम पर छात्रवृत्ति ली गई। ई-मैक्स ग्रुप ने छात्रों के बैंक खाते खुलवाकर पासबुक और चेकबुक अपने पास रख ली।
इस मामले में अब तक 20 संस्थानों के 105 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है.
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