देहरादून। उत्तराखंड के उच्च शिक्षा जगत में एक बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। भारत सरकार द्वारा तैयार किए गए उच्च शिक्षा के एकीकृत समर्थ पोर्टल के संचालन का पूरा अधिकार अब राज्य विश्वविद्यालयों को सौंप दिया गया है। राज्य सरकार ने इस संबंध में एक आदेश जारी कर दिया है। उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के निर्देशों के बाद शासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए यह फैसला लिया है। अब राज्य के विश्वविद्यालय अपने स्तर पर छात्र छात्राओं के प्रवेश, परीक्षा और अन्य सभी शैक्षिक गतिविधियों को संचालित कर सकेंगे।
इस आदेश के तहत कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल, श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय टिहरी और सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा को समर्थ पोर्टल के संचालन की पूरी जिम्मेदारी तत्काल प्रभाव से दे दी गई है। अब ये विश्वविद्यालय अपने परिसरों और संबद्ध राजकीय महाविद्यालयों में स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं में प्रवेश से लेकर परीक्षा तक की सारी प्रक्रियाएं खुद संभालेंगे। इससे पहले पोर्टल का संचालन शासन स्तर पर राज्य समर्थ टीम द्वारा किया जा रहा था जिसकी वजह से छात्रों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
शासन के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि पोर्टल के सुचारू संचालन की पूरी जिम्मेदारी संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव की होगी और इसे किसी और को हस्तांतरित नहीं किया जा सकेगा। हर महीने पोर्टल के कामकाज की समीक्षा की जाएगी और उसकी रिपोर्ट शासन को भेजनी होगी। छात्रों के प्रवेश के लिए पोर्टल खोलने से सात दिन पहले विश्वविद्यालय को अपनी वेबसाइट और मीडिया के माध्यम से इसका प्रचार प्रसार करना अनिवार्य होगा।
इसके अलावा विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में पहले से चल रहे सभी ईआरपी और पोर्टल्स का डेटा 31 मार्च 2026 तक समर्थ पोर्टल पर अपलोड करना जरूरी कर दिया गया है। इसके बाद समर्थ पोर्टल के अलावा किसी भी अन्य पोर्टल का संचालन नहीं किया जाएगा और न ही उसका भुगतान होगा। आदेश में सभी राजकीय और निजी विश्वविद्यालयों को अपना एकेडमिक कैलेंडर तैयार कर उसे 31 मई 2026 तक अपनी कार्यपरिषद से अनुमोदित कराने के निर्देश दिए गए हैं।
छात्रों की उपस्थिति को लेकर भी सख्त नियम बनाए गए हैं। हर सेमेस्टर में प्रवेश के बाद 90 दिन की कक्षाएं और 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य होगी जिसका डेटा समर्थ पोर्टल पर अपलोड करना होगा। अगर मानक पूरे नहीं होते हैं तो छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा है कि इस फैसले का सीधा लाभ छात्र छात्राओं को मिलेगा और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा।