हिमाचल प्रदेश में छात्रों की कम संख्या वाले हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को मर्ज किया जाएगा। यह फैसला शुक्रवार को शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। पांच किलोमीटर के दायरे में स्थित स्कूलों को मर्ज करने का प्रस्ताव है। 20 से कम छात्रों वाले हाई स्कूल और 25 से कम छात्रों वाले सीनियर सेकेंडरी स्कूल इस प्रक्रिया में शामिल होंगे। लड़के और लड़कियों के स्कूलों को मर्ज करने का फैसला केस-दर-केस आधार पर लिया जाएगा।
सिंगल डिजिट दाखिले वाले स्कूल बंद:
शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य में सिंगल डिजिट दाखिले वाले 9वीं से 12वीं कक्षा तक के स्कूलों को बंद करना जरूरी है। जल्द ही मुख्यमंत्री के साथ इस बारे में बैठक होगी, जिसमें छात्रों के दाखिले से जुड़ी जानकारी पर विचार किया जाएगा।
स्कूल मर्ज करने के लिए कॉमन गाइडलाइन:
शिक्षा मंत्री ने स्कूल मर्ज करने के लिए कॉमन गाइडलाइन बनाने के निर्देश दिए हैं। यह गाइडलाइन वित्त विभाग की सिफारिशों के आधार पर बनाई जाएगी और इसमें प्राइमरी से लेकर सीनियर सेकेंडरी स्कूलों तक के लिए दिशा-निर्देश शामिल होंगे।
शिक्षकों का युक्तिकरण:
शिक्षा मंत्री ने विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से शिक्षकों के युक्तिकरण पर भी रिपोर्ट मांगी है। 2013 से 2016 के बीच प्लेसमेंट पर नियुक्त प्रिंसिपलों को नियमित नियुक्ति देने का भी फैसला लिया गया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर HPU के साथ बैठक:
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के क्रियान्वयन पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) के साथ जल्द ही बैठक होगी। इसमें पाठ्यक्रम और NEP के अन्य प्रावधानों को उच्च शिक्षा में लागू करने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी।
वोकेशनल शिक्षकों की मांगों पर विचार:
शिक्षा मंत्री ने वोकेशनल शिक्षकों से स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मांगों पर विचार कर रही है। राज्य में लगभग 2100 वोकेशनल शिक्षक कार्यरत हैं।
शून्य दाखिले वाले सात कॉलेज बंद:
शून्य दाखिले वाले सात डिग्री कॉलेजों को बंद करने का फैसला लिया गया है। इनमें गलोड, टौणीदेवी, बसदेहडा, ज्यूरी, नारग और काजा कॉलेज शामिल हैं। 100 से कम छात्रों वाले कॉलेजों को मर्ज करने के प्रस्ताव को फिलहाल टाल दिया गया है।
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