लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित प्रतिष्ठित भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष के उद्घाटन समारोह का गुरुवार को भव्य आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यक्रम में शिरकत की और दीप प्रज्वलित कर समारोह का विधिवत शुभारंभ किया। अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला और इसकी महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि आज यह संस्थान फर्श से अर्श तक का सफर तय कर चुका है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह शताब्दी महोत्सव केवल एक औपचारिकता नहीं है बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्र बोध का एक महत्वपूर्ण क्षण है। इस संस्थान ने पीढ़ी दर पीढ़ी देश को एक नई पहचान दी है। पिछले सौ वर्षों में भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय ने भारतीय संगीत और नाटक को संरक्षित करने का अहम काम किया है। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि राष्ट्र की आत्मा उसकी संस्कृति में बसती है और अगर किसी राष्ट्र से उसकी संस्कृति को अलग कर दिया जाए तो वह केवल एक खंडहर बनकर रह जाता है। इस संस्थान ने साबित किया है कि एक संस्कृति कर्मी भी राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण सहयोग दे सकता है।
इतिहास के पन्नों को पलटते हुए मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि 1940 में ही गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने एक पत्र में लखनऊ के इस संस्थान को विश्वविद्यालय के रूप में संबोधित किया था। लेकिन विडंबना यह रही कि 1947 से लेकर 2017 तक कई सरकारें आईं और गईं मगर किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने सुझाव दिया था कि इस संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा मिल सकता है। अंततः 2022 में उनकी सरकार ने रवींद्रनाथ टैगोर की कल्पना को साकार करते हुए इसे विश्वविद्यालय की मान्यता दी और यह प्रदेश का पहला संस्कृति विश्वविद्यालय बना।
मुख्यमंत्री ने कलाकारों के हितों की रक्षा का भरोसा दिलाते हुए बड़ा एलान किया। उन्होंने कहा कि सभी को कलाकार का सम्मान करना चाहिए। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कलाकारों को एक सुरक्षित वातावरण मिले। इसके लिए उनके स्वास्थ्य, प्रशिक्षण और रोजगार को ध्यान में रखते हुए सरकार एक ठोस नीति बनाएगी। उन्होंने पंडित विष्णु सहाय भातखंडे के योगदान को याद करते हुए कहा कि 1940 के दौर में जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तक नहीं थी तब उन्होंने संगीत और संस्कृति को आत्मसम्मान और गौरव दिलाने का प्रयास किया था।
विश्वविद्यालय के विस्तार के लिए मुख्यमंत्री ने एक बड़ी सौगात दी। उन्होंने घोषणा की कि सरकार ने लखनऊ में छह एकड़ भूमि प्रदान की है जहां भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय का नवीन भवन बनाया जाएगा। यह नया भवन शिक्षा, शोध और साधना के लिए वैश्विक मानकों के अनुरूप होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि यहां ओपन थियेटर, कम से कम दो ऑडिटोरियम और एक बेहतरीन लाइब्रेरी होनी चाहिए। पुराने भवन को एक म्यूजियम में तब्दील किया जाएगा जहां पिछले सौ वर्षों में संस्थान से जुड़े शिक्षकों और प्रसिद्ध छात्रों की यादों को संजोया जाएगा।
समारोह में कुलपति मानवी सिंह ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और संस्थान के बच्चों ने कुल गीत गाया। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय की कॉफी टेबल बुक लिगेसी ऑफ एक्सीलेंस का विमोचन भी किया। इस खास मौके पर संस्थान के पूर्व विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया जिनमें कथक नृत्यांगना पूर्णिमा पांडेय, लोक गायिका मालिनी अवस्थी, गायिका दिलराज कौर और संगीत संयोजक केवल कुमार शामिल थे।
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