पंजाब में वक्फ बोर्ड की करोड़ों रुपये की संपत्तियों पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण की समस्या है, जिसमें बठिंडा जिला सबसे आगे है। राजनीतिक दबाव और अधिकारियों की मिलीभगत से ताकतवर लोगों ने इन संपत्तियों पर कब्जा कर रखा है। वक्फ बोर्ड द्वारा ट्रिब्यूनल और अदालतों में 1500 से ज़्यादा मामले लंबित हैं। ऐसे में नए वक्फ (संशोधन) विधेयक ने इन संपत्तियों के भविष्य को लेकर कई चिंताएं पैदा कर दी हैं।
नए विधेयक से बदल जाएगा ढांचा:
एडवोकेट नईम खान के अनुसार, नए विधेयक से वक्फ बोर्ड का पूरा ढांचा बदल जाएगा और इसके कामकाज पर भी असर पड़ेगा। उनका मानना है कि एक खास एजेंडे के तहत लाए गए इस विधेयक से वक्फ संपत्तियां खतरे में पड़ सकती हैं।
बठिंडा में सबसे ज़्यादा अतिक्रमण:
पंजाब में सबसे ज़्यादा वक्फ संपत्तियां बठिंडा जिले में हैं, जहां 9,405 संपत्तियों (कुल संपत्तियों का लगभग 90%) की पैमाइश की गई है। अमृतसर में 52.89% और होशियारपुर में 74.41% संपत्तियों पर अतिक्रमण है।
आय में भारी अंतर:
वक्फ बोर्ड को वर्तमान में इन संपत्तियों से सालाना 50-60 करोड़ रुपये की आय होती है, जबकि अनुमानित आय 200 करोड़ रुपये से अधिक है. राज्य में सबसे ज़्यादा 19,886 आवासीय और 14,427 कब्रिस्तान की संपत्तियां हैं.
अतिक्रमणकारियों को मिलेगी मदद:
नईम खान का मानना है कि नया विधेयक अवैध अतिक्रमणकारियों को मदद करेगा और वक्फ बोर्ड की संपत्ति छिन सकती है। यह विधेयक हर संपत्ति पर विवाद पैदा करेगा।
सेंट्रल डेटाबेस पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य:
विधेयक के पारित होने पर हर वक्फ संपत्ति को 6 महीने के अंदर सेंट्रल डेटाबेस पर रजिस्टर करना होगा। इससे वक्फ संपत्तियों की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी, जिसमें दानदाता का नाम, जमीन का स्रोत, आय, और प्रबंधकों का वेतन शामिल होगा।
अल्पसंख्यकों के मामलों में दखलंदाजी:
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने इस विधेयक को केंद्र द्वारा अल्पसंख्यकों के मामलों में दखलंदाजी बताया है। उन्होंने कहा कि यह बिल बिना किसी से बातचीत के लाया गया है, जिससे विवाद पैदा हो गया है. SGPC इसका विरोध करती है.
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