देहरादून: केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर होम स्टे नीति बनाने की तैयारी कर रही है। इस नीति के निर्माण में उत्तराखंड की होम स्टे नीति महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। नीति आयोग की एक टीम ने उत्तराखंड समेत चार राज्यों की होम स्टे नीति का अध्ययन किया है और अब अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार को भेजने वाली है, जिनमें उत्तराखंड की नीति के कई प्रावधान, जैसे स्थानीय निवासियों के लिए सब्सिडी और पानी-बिजली की घरेलू दरें, शामिल हैं।
उत्तराखंड में होम स्टे:
उत्तराखंड में पर्यटन और तीर्थाटन राज्य की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा हैं। बढ़ते पर्यटकों की संख्या को देखते हुए सरकार सुविधाओं का विकास कर रही है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में होम स्टे को बढ़ावा देना भी शामिल है। राज्य में अभी तक 5000 से ज़्यादा होम स्टे स्थापित हो चुके हैं।
सरकारी प्रोत्साहन:

होम स्टे के लिए सरकार अनुदान राशि देती है और पर्यटन विकास परिषद की वेबसाइट पर पंजीकरण और प्रचार में मदद करती है। योजना में कई तरह की छूट भी दी जाती हैं। होम स्टे संचालक का उसी घर में रहना और पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति से परिचित कराना अनिवार्य है।
नीति आयोग का अध्ययन:
केंद्र सरकार के निर्देश पर नीति आयोग की एक टीम ने उत्तराखंड, केरल, गोवा और उत्तर प्रदेश की होम स्टे नीतियों का अध्ययन किया। उत्तराखंड में टीम ने देहरादून, टिहरी और नैनीताल का दौरा किया और अधिकारियों से बातचीत की।
राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम की संभावना:
नीति आयोग के टीम लीडर डॉ. इमरान अमीन ने बताया कि टीम ने अपना अध्ययन पूरा कर लिया है और जल्द ही अपनी सिफ़ारिशें केंद्र सरकार को भेजी जाएंगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की होम स्टे नीति में सब्सिडी, ग्रांट, पानी-बिजली की घरेलू दरें और कौशल विकास जैसे प्रावधान शामिल हैं, जिन्हें राष्ट्रीय नीति में शामिल किया जा सकता है। आयोग की सिफ़ारिशों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर होम स्टे कार्यक्रम घोषित किया जा सकता है।
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