Uttarakhand: प्रतिनियुक्ति पर लगाम लगाएगी सरकार, 5 साल बाद कूलिंग पीरियड अनिवार्य

देहरादून: उत्तराखंड सरकार लंबे समय से प्रतिनियुक्ति पर तैनात कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ाने जा रही है। सरकार प्रतिनियुक्ति, सेवा स्थानांतरण और बाह्य सेवा में तैनाती को हतोत्साहित करेगी। अब प्रतिनियुक्ति की अधिकतम अवधि पाँच साल होगी। इसके बाद पाँच साल का कूलिंग पीरियड अनिवार्य होगा, जिसके बाद ही कर्मचारी दोबारा प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन कर सकेगा। इस संबंध में निर्णय लेने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है।

सेवाकाल में दो बार ही मिलेगी सुविधा:

किसी भी कर्मचारी को अपने सेवाकाल में अधिकतम दो बार ही प्रतिनियुक्ति का लाभ मिलेगा। प्रतिनियुक्ति समाप्त होने के बाद अगर कर्मचारी अपने मूल विभाग में वापस नहीं लौटता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

सीएम धामी ने जताई थी नाराजगी:

प्रदेश में कई विभागों में कर्मचारियों की कमी है, लेकिन फिर भी कई कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पर नाराज़गी जताते हुए प्रतिनियुक्ति पर लगाम लगाने के निर्देश दिए थे।

नए नियम:

  • सामान्य तैनाती तीन साल की होगी, जिसे वित्त विभाग की मंज़ूरी से दो साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। अधिकतम अवधि पाँच साल होगी।

  • प्रतिनियुक्ति के बाद पाँच साल का कूलिंग पीरियड होगा।

  • मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति प्रतिनियुक्ति के प्रस्तावों पर निर्णय लेगी। इस समिति में कार्मिक, वित्त, कर्मचारी के मूल विभाग और प्रतिनियुक्ति विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।

  • बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं में तैनात कर्मचारियों के लिए पाँच साल की सीमा लागू नहीं होगी, लेकिन समय-सीमा बढ़ाने के लिए मुख्य सचिव की समिति से मंज़ूरी लेनी होगी।

  • जिन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति में पाँच साल से कम समय बचा है, उन्हें प्रतिनियुक्ति का लाभ नहीं मिलेगा।

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