देहरादून। उत्तराखंड में भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण को लेकर एक बड़ी और महत्वपूर्ण पहल होने जा रही है। मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने गुरुवार को सचिवालय में एनआईसी आईटीडीए और राजस्व विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ एक बैठक की। इस बैठक में मुख्य सचिव ने भू अभिलेखों से संबंधित सभी पोर्टलों को जल्द से जल्द शुरू करने के कड़े निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि भूलेख पोर्टल को 1 जनवरी से हर हाल में शुरू कर दिया जाए। मुख्य सचिव का मानना है कि इस कदम से राज्य की आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी और उन्हें अपनी जमीन के कागजात के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
मुख्य सचिव ने बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया कि एक ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिससे दाखिल खारिज का स्टेटस अपडेट होते ही संबंधित व्यक्ति को तुरंत व्हाट्सएप और एसएमएस के जरिए सूचना मिल जाए। इतना ही नहीं आरओआर में कोई भी बदलाव होते ही सजरे यानी नक्शे में भी स्टेटस अपने आप अपडेट हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पोर्टल में यह प्रावधान भी रखा जाना चाहिए कि लोग अपने भूमि अभिलेखों की प्रति बहुत ही आसानी से प्राप्त कर सकें।
बैठक में आरसीएमएस पोर्टल को लेकर भी अहम फैसले लिए गए। मुख्य सचिव ने इसे 26 जनवरी 2026 तक शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राजस्व कोर्ट को पूरी तरह से ई कोर्ट के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए ताकि मामलों के निपटारे में तेजी आ सके। राजस्व कोर्ट के मामलों में भूमि अभिलेखों के सत्यापन के लिए पटवारी और कानूनगो के स्तर पर समय सीमा तय की जाए और इसे सॉफ्टवेयर में शामिल किया जाए ताकि मामलों को बिना किसी देरी के निस्तारित किया जा सके।
इस पूरी प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए मुख्य सचिव ने आईटीडीए को अपने सिस्टम को और मजबूत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सिस्टम के संचालन के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा और तकनीकी व्यवस्थाएं अनिवार्य रूप से सुनिश्चित कर ली जाएं। साथ ही सभी हितधारकों और उपयोगकर्ताओं को समय रहते आवश्यक प्रशिक्षण भी दे दिया जाए। बैठक में सचिव एसएन पाण्डेय राजस्व आयुक्त रंजना राजगुरू और जिलाधिकारी देहरादून सविन बंसल सहित कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।