नई दिल्ली। पाकिस्तान के ताकतवर फील्ड मार्शल और सेना प्रमुख आसिम मुनीर इन दिनों अपने कार्यकाल के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। इस्लामाबाद की सत्ता पर उनकी पकड़ को लेकर अब तक की सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने आ खड़ी हुई है। दरअसल अमेरिका की ओर से उन पर लगातार यह दबाव बनाया जा रहा है कि वे अपनी सेना को गाजा में भेजें। इस अमेरिकी दबाव ने मुनीर को एक अजीब धर्मसंकट में डाल दिया है जहां एक तरफ कुआं है तो दूसरी तरफ खाई।
विशेषज्ञों का मानना है कि मुनीर इस वक्त दोहरी मुश्किल में फंसे हुए हैं। अगर वे अमेरिकी दबाव के आगे झुकते हुए गाजा स्थिरीकरण बल में पाकिस्तानी सैनिकों को भेजने का फैसला लेते हैं तो उन्हें अपने ही देश के भीतर भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है। पाकिस्तान की जनता फिलिस्तीन समर्थक है और ऐसे में किसी भी तरह का सैन्य हस्तक्षेप उन्हें भड़का सकता है। वहीं दूसरी तरफ अगर मुनीर अमेरिका की बात नहीं मानते हैं तो नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप नाराज हो सकते हैं जिसका असर दोनों देशों के रिश्तों और पाकिस्तान को मिलने वाली मदद पर पड़ सकता है।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस संकट के समाधान के लिए आसिम मुनीर आने वाले हफ्तों में ट्रंप से मिलने के लिए वॉशिंगटन जा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि यह पिछले छह महीनों में ट्रंप और मुनीर के बीच तीसरी मुलाकात होगी। इस मुलाकात का मुख्य एजेंडा गाजा फोर्स ही होने की संभावना है। ट्रंप के 20 सूत्रीय गाजा प्लान के तहत इजरायली सेना के हटने के बाद वहां मुस्लिम बहुसंख्यक देशों की सेनाओं को तैनात करने का प्रस्ताव है ताकि पुनर्निर्माण और आर्थिक सुधार की देखरेख की जा सके।
लेकिन मुनीर के लिए यह फैसला लेना आसान नहीं है। कई देश हमास को गैर सैनिक बनाने के मिशन से दूरी बनाए हुए हैं क्योंकि उन्हें डर है कि वे इस संघर्ष में फंस सकते हैं और उनकी जनता नाराज हो सकती है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि विदेशी सैनिकों की तैनाती से हालात और बिगड़ सकते हैं और जनता की इजरायल विरोधी भावनाएं भड़क सकती हैं।
मुनीर के लिए स्थिति इसलिए भी ज्यादा नाजुक है क्योंकि उन्होंने पिछले कुछ समय में वॉशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच के अविश्वास को कम करने के लिए ट्रंप के साथ करीबी रिश्ते बनाए हैं। जून में उन्हें व्हाइट हाउस में लंच पर बुलाया गया था जो किसी पाकिस्तानी सेना प्रमुख के लिए एक बड़ी बात थी। ऐसे में वे ट्रंप को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकते। वॉशिंगटन स्थित अटलांटिक काउंसिल के सीनियर फेलो माइकल कुगेलमैन का कहना है कि गाजा में सेना न भेजने से ट्रंप नाराज हो सकते हैं और यह पाकिस्तानी सरकार के लिए छोटी बात नहीं है क्योंकि वे अमेरिकी निवेश और सुरक्षा मदद पाने के लिए बेताब हैं।
Pls read:Pakistan: पाकिस्तान के पूर्व आईएसआई चीफ फैज हमीद को मिली चौदह साल की जेल