Delhi: लोकसभा में परमाणु ऊर्जा बिल पास होने के साथ ही निजी कंपनियों के लिए खुले दरवाजे – The Hill News

Delhi: लोकसभा में परमाणु ऊर्जा बिल पास होने के साथ ही निजी कंपनियों के लिए खुले दरवाजे

नई दिल्ली। भारत की ऊर्जा दुनिया में आने वाले समय में एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलने वाला है। बुधवार को लोकसभा में एक महत्वपूर्ण विधेयक सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया यानी शांति (SHANTI) बिल पारित हो गया। इस बिल के पास होने के साथ ही देश के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है। इस कानून के बनने से अब परमाणु एनर्जी सेक्टर में प्राइवेट प्लेयर्स यानी निजी कंपनियों की भागीदारी का रास्ता पूरी तरह साफ हो जाएगा।

माना जा रहा है कि इस नए कानून के अस्तित्व में आने के बाद पिछले 63 सालों से चला आ रहा राज्य का एकाधिकार टूट जाएगा। अब तक परमाणु ऊर्जा उत्पादन पर केवल सरकार का नियंत्रण था लेकिन अब प्राइवेट कंपनियों को भी इसमें हिस्सेदारी मिल सकेगी। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि यह कानून भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि यह कानून भारत को साल 2027 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएगा।

जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की वैश्विक भूमिका तेजी से बढ़ रही है और अगर देश को एक प्रभावी वैश्विक शक्ति बनना है तो उसे अंतरराष्ट्रीय मानकों और रणनीतियों के साथ कदम मिलाकर चलना होगा। उन्होंने बताया कि पूरी दुनिया आज स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा की ओर बढ़ रही है। इसी दिशा में भारत ने भी साल 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता विकसित करने का ambitious लक्ष्य रखा है जिसे हासिल करने में यह बिल मददगार होगा।

इस नए बिल का मुख्य उद्देश्य परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना और इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करना है। केंद्र सरकार का तर्क है कि निजी कंपनियों की भागीदारी से इस क्षेत्र में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और फंड की कमी भी दूर होगी। हालांकि बिल के लोकसभा में पेश होने के बाद विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया। विपक्षी सांसदों ने दावा किया कि यह कानून न्यूक्लियर डैमेज के लिए सिविल दायित्व अधिनियम 2010 के प्रावधानों को कमजोर कर रहा है।

विपक्ष ने आरोप लगाया कि मौजूदा कानून के तहत किसी भी परमाणु दुर्घटना की स्थिति में उपकरण आपूर्तिकर्ताओं पर जिम्मेदारी तय की जाती थी लेकिन सरकार द्वारा पेश किए गए नए बिल में यह जिम्मेदारी कमजोर हो सकती है जिससे सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो सकते हैं। बावजूद इसके सरकार ने अपने तर्कों के साथ इस बिल को लोकसभा से पारित करा लिया है।

 

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