
नई दिल्ली: यूरोपीय देशों की एकजुटता को मजबूत करने और यूक्रेन की सुरक्षा के लिए ब्रिटेन में एक सुरक्षा समिट का आयोजन किया गया। इस समिट में यूरोपीय नेताओं ने यूरोप की सुरक्षा स्थिति पर चिंता व्यक्त की और यूक्रेन को अपना समर्थन जारी रखने का आश्वासन दिया। रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान पर भी चर्चा हुई।
पोलैंड के प्रधानमंत्री की टिप्पणी:
इस समिट से पहले पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने एक बयान दिया जिसने अमेरिका की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा, “यह एक विरोधाभास है कि 50 करोड़ यूरोप की जनता 30 करोड़ अमेरिकियों से गुहार लगा रही है कि वे 14 करोड़ रशियन से उनकी रक्षा करें।” उन्होंने यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका की स्थिति को “दुविधा” बताते हुए कहा कि हमें इससे उबरने की जरूरत है।
ट्रंप और जेलेंस्की के बीच तीखी नोकझोंक:
हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की की अमेरिका यात्रा के दौरान ओवल ऑफिस में उनकी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच रूस-यूक्रेन मुद्दे पर तीखी बहस हुई थी। ट्रंप ने जेलेंस्की पर तीसरे विश्व युद्ध का खतरा पैदा करने का आरोप लगाया था, जबकि जेलेंस्की ने कहा था कि यूक्रेन अपनी भूमि का एक इंच भी रूस को नहीं देगा। इस बैठक के बाद यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि अमेरिका द्वारा यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य और आर्थिक सहायता प्रभावित हो सकती है। दोनों देशों के बीच एक प्रस्तावित मिनरल समझौता भी नहीं हो पाया।
यूरोपीय देशों का शांति प्रस्ताव:
इस बीच, यूरोपीय देशों ने यूक्रेन में शांति स्थापित करने के लिए एक योजना पर सहमति जताई है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने घोषणा की कि यूरोपीय नेताओं के बीच इस शांति योजना पर सहमति बन गई है और इसे अमेरिका के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। यूरोपीय नेताओं ने यह भी माना कि यूक्रेन की सहायता के लिए रक्षा खर्च बढ़ाना होगा।
आगे की राह:
यूक्रेन युद्ध का भविष्य अब भी अनिश्चित है। यह देखना होगा कि यूरोपीय देशों का शांति प्रस्ताव कितना कारगर साबित होता है और अमेरिका इस पर क्या रुख अपनाता है। रूस की आक्रामकता के मद्देनजर यूरोप की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, और इस समस्या के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।
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