नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लोकपाल द्वारा हाईकोर्ट के एक मौजूदा जज के खिलाफ दायर शिकायतों पर विचार करने के आदेश पर रोक लगा दी। जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अभय एस. ओका की पीठ ने इस आदेश को “बेहद परेशान करने वाला” बताते हुए इसे स्थगित कर दिया।
केंद्र सरकार को नोटिस:
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर लोकपाल के 27 जनवरी के आदेश पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए यह कदम उठाया है।
जज का नाम उजागर करने पर रोक:
सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता को जज का नाम सार्वजनिक करने से मना किया है और शिकायत को गोपनीय रखने का निर्देश दिया है।
मामले की पृष्ठभूमि:
लोकपाल ने हाईकोर्ट के एक मौजूदा अतिरिक्त जज के खिलाफ दायर दो शिकायतों पर विचार करने का आदेश दिया था। इन शिकायतों में आरोप लगाया गया था कि जज ने राज्य के एक अतिरिक्त जिला जज और उसी हाईकोर्ट के एक अन्य जज को एक निजी कंपनी द्वारा शिकायतकर्ता के खिलाफ दायर मुकदमे से निपटने के लिए प्रभावित किया। आरोप है कि निजी कंपनी उस जज की क्लाइंट थी जब वह वकालत करते थे।
मुख्य बिंदु:
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लोकपाल के आदेश पर रोक: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जज के खिलाफ लोकपाल के आदेश को “बेहद परेशान करने वाला” बताते हुए रोक लगा दी।
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केंद्र सरकार को नोटिस: कोर्ट ने केंद्र सरकार और अन्य संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है।
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जज के नाम का खुलासा करने पर रोक: शिकायतकर्ता को जज का नाम सार्वजनिक करने से मना किया गया है।
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शिकायतें गोपनीय: शिकायतों को गोपनीय रखने का निर्देश दिया गया है.
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आरोप: जज पर एक निजी कंपनी के पक्ष में न्यायिक अधिकारियों को प्रभावित करने का आरोप है.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आना बाकी है, जो न्यायिक प्रक्रिया और न्यायाधीशों की जवाबदेही के लिहाज से महत्वपूर्ण होगा।
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