
देहरादून: मूल निवास और भू-कानून लागू करने, दिल्ली की तर्ज पर उत्तराखंड के लोगों को मुफ्त बिजली-पानी उपलब्ध कराने और 2022 के विधानसभा चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने की मांग को लेकर विधानसभा जा रहे मूल निवास भू-कानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी को पुलिस ने रिस्पना पुल के पास बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. डिमरी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य मंत्रियों से मिलकर अपनी मांगों पर बातचीत करना चाहते थे।
भू-कानून का ड्राफ्ट सौंपा, जनहित में कानून बनाने की अपील
संघर्ष समिति ने सिटी मजिस्ट्रेट को भू-कानून का एक ड्राफ्ट सौंपा है. डिमरी ने मांग की है कि मूल निवास के मुद्दे पर विधानसभा सत्र में चर्चा हो और भू-कानून जनता के हित में बनाया जाए. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भू-माफिया के पक्ष में कानून बनाया गया तो उसका कड़ा विरोध किया जाएगा. डिमरी ने कहा कि अगर सरकार इन मुद्दों पर काम नहीं करती है तो आर-पार की लड़ाई शुरू की जाएगी.
यूसीसी के कुछ प्रावधानों और विधायकों के वेतन वृद्धि का विरोध
डिमरी ने समान नागरिक संहिता (UCC) के कुछ प्रावधानों, जैसे एक साल के स्थायी निवास और लिव-इन रिलेशनशिप, का भी विरोध किया. उन्होंने विधानसभा सत्र में विधायकों और पूर्व विधायकों के वेतन-भत्ते और पेंशन में वृद्धि पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या सत्र सिर्फ विधायकों के ऐशो-आराम के लिए आयोजित हो रहे हैं? जनता के मुद्दों पर काम क्यों नहीं हो रहा? उन्होंने उपनल कर्मचारियों और आउटसोर्स कर्मचारियों की समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग का भी समर्थन किया.
सरकार पर अनदेखी का आरोप, चुनावी वादों को पूरा करने की मांग
डिमरी ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना, आशा, आंगनबाड़ी और भोजनमाताएं मानदेय बढ़ाने, पीआरडी, गुरिल्ला संगठन और पुलिस के जवान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार सिर्फ विधायकों की चिंता कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में किए गए 90 प्रतिशत वादे पूरे नहीं किए हैं, जिसमें बेरोजगार युवाओं को मुख्यमंत्री प्रशिक्षु योजना के तहत प्रति वर्ष तीन हजार रुपये देने का वादा भी शामिल था. उन्होंने सरकार से पूछा कि कितने युवाओं को यह राशि दी जा रही है.
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