
नई दिल्ली: अमेरिका से भारत भेजे गए 104 निर्वासित भारतीयों के मामले ने संसद में हंगामे की स्थिति पैदा कर दी है। विपक्षी दलों ने इन निर्वासितों के साथ कैदियों जैसा व्यवहार करने और उनके हाथों में हथकड़ी लगाने पर सरकार से जवाब मांगा है। एक अमेरिकी अधिकारी द्वारा शेयर किए गए वीडियो में निर्वासितों के हाथ-पैर जंजीरों से बंधे दिखाई दे रहे हैं, जिसने इस मामले को और हवा दी है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि अमेरिकी निर्वासन प्रक्रिया “आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन” (ICE) द्वारा संचालित होती है और इसमें निर्धारित नियमों का पालन किया जाता है। उन्होंने बताया कि 2012 से ही ICE द्वारा निर्वासन के लिए नियम बनाए गए हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सीमा शुल्क प्रवर्तन ने उन्हें बताया है कि महिलाओं और बच्चों के हाथों में हथकड़ी नहीं लगाई गई थी।
क्या अमेरिकी कानून निर्वासितों को हथकड़ी लगाने की अनुमति देता है?
NBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी आव्रजन अधिकारी निर्वासन प्रक्रिया के दौरान एक तय प्रोटोकॉल का पालन करते हैं। ICE के नियमों के तहत, विमान में निर्वासितों के हाथ-पैर बांधने का प्रावधान है। हालांकि, गंतव्य पर पहुँचने के बाद हथकड़ी और बेड़ियां तुरंत हटाई जानी चाहिए।
निर्वासन के दौरान व्यक्तिगत सामान ले जाने की अनुमति नहीं होती है, लेकिन 18 किलोग्राम तक का एक बैग ले जाया जा सकता है, जिसकी जांच अधिकारी करते हैं। विमान में बैठने के बाद निर्वासितों के हाथ-पैर बांधे जाते हैं। सुरक्षा के लिए विमान में 13 से 20 सुरक्षाकर्मी और स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति से निपटने के लिए मेडिकल स्टाफ भी मौजूद रहता है। निर्वासितों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है और नियमों के अनुसार, टॉयलेट ब्रेक के दौरान उन्हें बंधनों से मुक्त रखा जाता है।
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