नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र में आज ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया, जिस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कहना है कि इससे देश का विकास तेजी से होगा, क्योंकि बार-बार चुनाव होने से प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित होती है। भाजपा ने इस बिल के समर्थन में अपने सांसदों को व्हिप जारी किया था।
विपक्ष ने इस बिल का कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस ने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने इसे ‘तानाशाही की ओर बढ़ता कदम’ करार दिया है। कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), शिवसेना (उद्धव गुट) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) जैसे दल इस बिल के विरोध में हैं। वहीं, NDA के सहयोगी दलों के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इसका समर्थन किया है।
शिरोमणि अकाली दल (SAD) की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह सिर्फ ध्यान भटकाने की कोशिश है। उन्होंने सवाल उठाया कि इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा? नौकरी और रोजगार कैसे मिलेगा?
राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पहले सरदार पटेल से दूरी बनाती थी, अब उनके मुंह से पटेल का नाम सुनकर अच्छा लग रहा है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ देशहित में है, लेकिन कांग्रेस इसे नकारात्मक रूप से देख रही है।
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