एपी, [7 dec]: दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति यून सुक येओल की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। विपक्ष द्वारा महाभियोग प्रस्ताव लाए जाने के बाद अब सत्तारूढ़ दल के भीतर ही उनकी संवैधानिक शक्तियों को निलंबित करने की मांग उठने लगी है। यह स्थिति राष्ट्रपति यून द्वारा मंगलवार को देश में मार्शल लॉ लागू करने के फैसले के बाद और भी गंभीर हो गई है, जो भारी विरोध के बाद केवल छह घंटे के भीतर ही निष्प्रभावी हो गया था।
महाभियोग प्रस्ताव पर संसदीय मतदान:
विपक्ष द्वारा लाया गया महाभियोग प्रस्ताव राष्ट्रपति यून के मार्शल लॉ को असंवैधानिक और अवैध विद्रोह बताता है। इस प्रस्ताव पर संसद में शनिवार को मतदान होना है। हालाँकि, इस प्रस्ताव को पारित करने के लिए विपक्षी दलों को सत्तारूढ़ पीपुल पावर पार्टी के कम से कम आठ सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होगी। 300 सदस्यों वाली संसद में दो तिहाई बहुमत से ही यह प्रस्ताव पारित हो पाएगा।
जनता का बढ़ता विरोध और सत्तारूढ़ दल में दरार:
राष्ट्रपति यून के कार्यों का जनता में व्यापक विरोध हो रहा है। लोग उन्हें लोकतंत्र के लिए खतरा मान रहे हैं और उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बढ़ते विरोध के बीच, एक चौंकाने वाला घटनाक्रम हुआ है। सत्तारूढ़ पार्टी के ही एक नेता, हान डोंग-हून ने राष्ट्रपति यून की संवैधानिक शक्तियों को निलंबित करने की मांग की है। उनका समर्थन कई अन्य पार्टी नेताओं ने भी किया है। इन नेताओं का तर्क है कि दक्षिण कोरिया को बचाने के लिए यह कदम जरूरी है।
राजनीतिक संकट गहराया:
यह घटनाक्रम दक्षिण कोरिया में गंभीर राजनीतिक संकट की ओर इशारा करता है। राष्ट्रपति यून के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव और सत्तारूढ़ दल के भीतर ही उनके खिलाफ उठ रहे विरोध से देश की राजनीतिक स्थिरता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। शनिवार का संसदीय मतदान देश के भविष्य के लिए निर्णायक होगा। यदि महाभियोग प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो दक्षिण कोरिया में बड़ा राजनीतिक परिवर्तन देखने को मिलेगा। इस स्थिति का देश की अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर भी गहरा असर पड़ सकता है। आने वाले दिनों में देश की राजनीति में और भी उथल-पुथल की संभावना है।
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