नई दिल्ली: आतंकवाद और आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को हमेशा चीन ने सहारा दिया है। पाकिस्तान को अपनी नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हुए, चीन ने पाकिस्तान में अपनी उपस्थिति लगातार बढ़ाते हुए कई परियोजनाओं का विकास शुरू कर दिया है। पाकिस्तान में चीन के नागरिकों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। पाकिस्तान में आत्मघाती हमले आम हैं, जिसमें अक्सर पाकिस्तानी नागरिक मारे जाते हैं। हालाँकि, हाल ही में हुए आत्मघाती हमले में चीनी नागरिक भी शिकार हो गए।
कराची आत्मघाती हमले के बाद चीन का बड़ा फैसला
रविवार को हुए एक आत्मघाती हमले में दो चीनी इंजीनियर मारे गए और 10 अन्य घायल हो गए। बलूच लिबरेशन आर्मी की माजिद ब्रिगेड ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। इस घटना के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सरकार ने पाकिस्तान में काम कर रहे 400 चीनी नागरिकों को देश वापस आने का आदेश दिया।
सभी चीनी नागरिक अपने देश वापस लौट गए हैं। बलूचिस्तान से लगभग 250 चीनी इंजीनियर और गिलगिट बाल्टिस्तान से 150 इंजीनियर, कराची और इस्लामाबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट से चीन चले गए हैं।
चीनी नागरिकों के वापस जाने के बाद, सीपैक के बलूचिस्तान वाले इलाके सहित पावर और इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े 8 प्रोजेक्ट पर काम ठप हो गया है। इसी बीच, यह भी पता चला है कि चीन ने गुलाम कश्मीर में अपनी सेना तैनात करने का फैसला किया है।
चीनी नागरिकों की सुरक्षा में जुटी पाक सरकार
हाल ही में, पाकिस्तानी सेना ने चीनी नागरिकों और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए 45 अरब रुपये का बजट तय किया है। गुरुवार को वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब की अध्यक्षता में कैबिनेट की आर्थिक समन्वय समिति (ईसीसी) की बैठक में यह निर्णय लिया गया। शहबाज सरकार के मुताबिक, 45 अरब रुपये में से 35.4 अरब रुपये सेना को और 9.5 अरब रुपये नौसेना को विभिन्न उद्देश्यों के लिए दिए जाएँगे।
बलूचिस्तान के गैस-मिनरल पर चीन की नजर
यह उल्लेखनीय है कि चीन पाकिस्तान के बलूचिस्तान में कई सीपीईसी परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इस इलाके में चीन 60 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर रहा है।
यह इलाका गैस और मिनरल से भरपूर है, जिस पर चीन की नजर है। बलूच विद्रोही लगातार हमले और विरोध प्रदर्शन करके चीन की परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने चीन को चेतावनी दी है कि वे बलूचिस्तान से दूर रहें।
यह स्थिति चीन और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ाती है और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है। चीनी नागरिकों की सुरक्षा पर ध्यान देने के साथ-साथ, दोनों देशों को स्थिरता और शांति के लिए एक स्थायी समाधान खोजने की आवश्यकता है।
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