नई दिल्ली: शराब घोटाले मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल से जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने सीएम केजरीवाल की जमानत पर फैसला सुनाया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने पांच सितंबर को मामले पर बहस सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान दोनों जजों ने अलग-अलग राय रखी।
जस्टिस भुइयां ने CBI पर उठाए सवाल: जस्टिस भुइयां ने सीबीआई की कार्रवाई पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह धारणा बदलनी चाहिए कि सीबीआई पिंजरे में बंद तोता है। जस्टिस भुइयां ने सीबीआई गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश की प्रमुख जांच एजेंसी होने के नाते CBI को मनमानी तरीके से गिरफ्तारियां करते हुए नहीं देखा जाना चाहिए। बल्कि उसे पिंजरे में बंद तोते की तरह देखा जाना चाहिए और पक्षपात की किसी भी धारणा को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
जस्टिस सूर्यकांत का अलग रुख: वहीं, जस्टिस सूर्यकांत ने सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही बताया। उन्होंने कहा कि उनकी गिरफ्तारी अवैध नहीं है। स्वतंत्रता न्यायिक प्रक्रिया का विभिन्न अंग है। किसी इंसान को जेल में लंबे समय तक कैद रखना अन्यायपूर्ण है। यह किसी को स्वतंत्रता से वंचित करना है।
केजरीवाल को मिली जमानत, लेकिन…: सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ उन्हें जमानत दी है। कोर्ट के मुताबिक, वो सीएम दफ्तर नहीं जा सकते हैं। वहीं, वो गवाहों से संपर्क नहीं कर सकते हैं। तीसरा शर्त यह है कि वो जांच में सहयोग करेंगे। कोर्ट ने 10 लाख के मुचलके पर उन्हें रिहा किया गया है। वो न तो सीएम दफ्तर जा सकते हैं और न ही न किसी फाइल पर साइन कर सकेंगे।
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