देहरादून। उत्तराखंड का उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में हुए हादसे के कारणों को लेकर उठ रहे सवालों के बीच अब शासन ने पूरे मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिये हैं। इस सिलसिले में पूर्व में गठित जांच समिति को प्रारंभिक रिपोर्ट लौटाते हुए उसे दोबारा सभी पहलुओं पर विस्तृत जांच करने के लिए आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा है। सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा ने नए सिरे से जांच की पुष्टि की है।
सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए 17 दिन चला बचाव अभियान विश्व भर में चर्चा के केंद्र में रहा था। तमाम एजेंसियों की कड़ी मेहनत से सभी श्रमिक सुरक्षित निकाल लिए गए। 12 नवंबर की सुबह को हुई घटना के तुरंत बाद राज्य सरकार ने भूस्खलन के अध्ययन एवं कारणों की जांच के लिए उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन के निदेशक डा शांतनु सरकार की अध्यक्षता में समिति गठित की थी। समिति में भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय के प्रतिनिधि और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के भू-वैज्ञानिक शामिल थे।
इस सात सदस्यीय समिति को सिलक्यारा जाकर घटना से जुड़े विविध पहलुओं के अलावा मलबे की मिट्टी, पत्थर के सैंपल की जांच के साथ ही सुरंग में भूस्खलन जोन के लंबवत ठीक ऊपरी सतह पर पहाड़ की स्थिति का परीक्षण कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए थे। समिति ने 13 नवंबर को सिलक्यारा जाकर जांच-पड़ताल शुरू की। साथ ही प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी, लेकिन रेस्क्यू अभियान पर पूरा फोकस होने के कारण विस्तृत जांच को रोक दिया गया। सरकार ने तब कहा था कि उनकी प्राथमिकता पहले 41 लोगों की जिदंगी को बचना है। हादसे के कारणों की जांच रेस्क्यू अभियान के पूरा होने के बाद होगी।
सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा के अनुसार समिति ने जो प्रारंभिक रिपोर्ट दी है, उसमें कई बिंदुओं पर स्पष्टता नहीं है। इसे देखते हुए समिति को दोबारा सिलक्यारा सुरंग हादसे के संबंध में विस्तृत जांच करने को कहा गया है।
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