कोटद्वार। सिल्क्यारा सुरंग में 17 दिन तक फंसे 41 श्रमिकों में से एक गब्बर सिंह नेगी के बेमिसाल होंसले की पीएम मोदी ने भी तारीफ की। वह गब्बर सिंह नेगी ही थे, जिन्होंने श्रमिकों की हिम्मत बनाए रखी।
शुक्रवार को जब वह कोटद्वार स्थित अपने घर पहुंचे तो वहां जोरदार स्वागत हुआ। गब्बर की मां बिचुली देवी की आंखें छलक गईं। मां ने अपने पाल्य का माथा चूम गले से लगा लिया। पौड़ी जिले के कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत विशनपुर निवासी गबर सिंह पिछले 25 वर्ष से सुरंग निर्माण कंपनियों से जुड़े हैं। फिलहाल सिलक्यारा सुरंग की निर्माणदायी कंपनी नवयुग में फोरमैन हैं।12 नवंबर को जब निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन हुआ तो गबर सिंह समेत 41 श्रमिक अंदर ही फंस गए। घटना की सूचना के बाद गबर सिंह का बेटा आकाश नेगी, बड़े भाई जयमल सिंह व तीरथ सिंह नेगी समेत परिवार के अन्य सदस्य उत्तरकाशी पहुंचे। इस दौरान आकाश ने पिता गबर सिंह से पाइप के जरिये बात की। तब गबर सिंह ने आकाश को बताया कि उनके साथ जो श्रमिक साथी हैं, उन सबकी सुरक्षा का जिम्मा भी उन्हीं का है। इसलिए वह श्रमिक साथियों का मनोबल बढ़ा रहे हैं।
एम्स ऋषिकेश में परीक्षण के बाद गबर सिंह जैसे ही कौड़िया चेकपोस्ट पर पहुंचे तो उन्हें फूल माला से लाद दिया। इसके बाद गबर सिंह को विशनपुर स्थित उनके आवास ले जाया गया। वहां उनके स्वागत को स्वजन के साथ बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी भी मौजूद थे। गबर सिंह ने सुरंग में बिताए 17 दिन के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि परिस्थिति कितनी भी कठिन हो, पर हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने बताया कि सुरंग में शुरुआती दो दिन श्रमिकों ने मूंगफली और केले के छिलके खाकर गुजारे। साथ ही कहा कि ईश्वर ने सभी को हिम्मत प्रदान की और सरकारी मशीनरी ने उन्हें सुरक्षित निकालने को कोई कसर नहीं छोड़ी।
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