देहरादून। जोशीमठ कस्बे में बढ़ते भूधंसाव से क्षेत्र में खौफ बढ़ रहा है। धंसाव से भवनों व जमीनों पर भी गहरी दरारें आने से स्थानीय नागरिकों में भी दशहत है। दो बहुमंजिले होटल में दरारें चौड़ी हो रही है। जिससे होटल के नीचे आवासीय बस्ती के लोग चिंतित हैं। लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन ने शीघ्र ही जोशीमठ के नागरिकों का सुरक्षित स्थानों पर ठिकाना न दिया तो कभी भी जोशीमठ नगर में अनहोनी घट सकती है।
उन्होंने कहा कि शहर के एक हिस्से में भधंसाव के बढ़ते मामलों से कई लोगों ने अपने मकान छोड़ दिये हैं, जबकि बहुत से लोग प्रशासन की और से सुरक्षित प्रवास के इंतजार में हैं। अब तक जोशीमठ में भारी भूधंसाव के चलते 590 भवनो में दरार आ गईं है जिसमें से आधे से अधिक घर अब रहने लायक नहीं हैं साथ ही किरायेदार भी कमरों पर पड़ी दरारों से भयभीत होकर सुरक्षित जगहों पर अपना ठिकाना ढूंढने लगे हैं।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ की स्थिति और इससे निबटने को उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को इसके निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण कर भूधंसाव व भूस्खलन से प्रभावित परिवारों को चिह्नित कर इनके सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास के लिए शीघ्र प्रस्ताव तैयार करने को कहा। साथ ही यह भी निर्देश दिए कि आवश्यकता होने पर जोशीमठ में अस्थाई सुरक्षा कार्य भी शुरू कर दिए जाएं। बैठक में बताया गया कि जोशीमठ शहर के स्थिरीकरण के लिए होने वाले कार्यों के लिए 20 जनवरी तक फर्म का चयन कर लिया जाएगा।
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विज्ञानियों के दल ने दिए थे ये सुझाव
जोशीमठ में वर्षा जल और घरों से निकलने वाले पानी के निस्तारण की व्यवस्था।
अलकनंदा नदी से भूकटाव को नियंत्रित करने के लिए तटबंध की व्यवस्था।
शहर से होकर बहने वाले नालों का सुदृढ़ीकरण व चैनलाइजेशन।
क्षेत्र की धारण क्षमता के अनुरूप निर्माण कार्यों पर नियंत्रण।
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