News Analysis: भाजपा को गद्दी, कांग्रेस फिसड्डी , क्यों ?

देहरादून। उत्तराखंड के चुनावी समर मे कांग्रेस की कमर टूट गई, एक बार फिर एक तरफा जीत भाजपा के हिस्से मे चली गई। 47 सीटों के साथ प्रदेश का सबसे बड़ा मिथक तोडते हुए भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश मे वापसी की है, लेकिन इतने बड़े मारजिन से बीजेपी की जीत हुई तो हुई किस आधार पर। सतह पर मजबूत दिखने के बाद भी मजबूर कैसे हो गई कांग्रेस घुटने टेंकने के लिए। इन तमाम सवालों के जवाब के साथ देवभूमि इंसाइडर की इस रिपोर्ट मे आपका स्वागत है। और सीधा रुख करते हैं आज के सबसे बड़े सवाल की ओर भाजपा को गद्दी, कांग्रेस फिसड्डी , क्यों ?

आपको पांच पांच बिंदुओं में आपको दोनों दलों की इस हार-जीत का कारण हम समझाएंगे। शुरुआत करेंगे उन 5 कारणों से जिसके चलते प्रदेश मे भाजपा को ये बंपर विक्टरी मिली है। सबसे पहला और बड़ा कारण जाहिर तौर पर है मोदी मैजिक।

मोदी मैजिक- राजनीति के जानकार मानते हैं कि मोदी मैजिक एक बार फिर प्रदेशवासियों के सिर चढकर बोला है। 2017 में भी मोदी लहर मे भाजपा की नैया पार हो गई थी। 2022 मे एक बार फिर यही हुआ है। जिन सीटों से खुद भाजपा के प्रत्याशियों को जीतने की उम्मीद नही थी बीजेपी उन पर ही बाजी मार गई है। दरअसल, केंद्र के सबसे बड़े दिगग्ज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े दौरे वोटिंग से पहले उत्तराखंड मे किए थे। मोदी ने अपनी नैनीताल, टिहरी, अल्मोड़ा और गढ़वाल की चार वर्चुअल रैलियों और देहरादून व हल्द्वानी की दो फिजिकल रैलियों के जरिये चुनावी फिजा ही बदल दी । इसलिए जीत का सबसे बड़ा फैक्टर ब्रैंड मोदी को ही माना जा रहा है।

डंबल इंजन सरकार – विपक्ष कहता रह गया कि इंजन मे जंग लग गया है लेकिन नही 2022 मे भी भाजपा की गाड़ी इसी इंजन ने खींची है। ये डबल इंजन सरकार का नारा 2017 के चुनावों मे पीएम मोदी ने उत्तराखंड आकर दिया था जो 22 मे भी इतना कारगार निकला कि भाजपा की झोली मे जीत खींच ली वो भी परिस्थितियां विपरीत बोने के बावजूद। आपको ये भी बता दें कि डंबल इंजन सरकार के इस फूर्मोले को पूरे चुनाव मे हथियार बनाकर बेहतरीन ढंग से भाजपा ने इस्तेमाल भी किया है। खैर आगे बढते है तीसरे कारण की ओर-जो है

युवा नेतृत्व- अच्छा अगर पूछा जाए कि बीजेपी ने किस आधार पर सबसे ज्यादा वोट मांगे हैं तो जवाब होगा युवा चेहरा। यही कहा था भाजपा ने पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाते समय कि हम युवा चेहरे पर चुनाव लड़ेगे। अब भले ही धामी खुद पराजित हो गए हों लेकिन युवा नेतृत्व का टोटका भी पार्टी का सफल रहा, भर भर के वोट मिले हैं महिलाओं से भी युवाओं से भी। चौथे कारण की बात करे तो वो है केंद्रिय योजनाएं-

केंद्रिय योजनाएं- ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ – उत्तराखंड की जमीन पर इसी संकल्प को लेते हुए गरजे थे प्रधानमंत्री मोदी। इसी के साथ उन्होने हर दफा चारों धामो को जोड़ने वाली योजना चारधाम परियोजना का जिक्र भी अपने हर संबोधन मे किया। खुद वोटिंग से पहले वो केदारनाथ गए भी थे। चारधाम राजमार्ग परियोजना पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्टस मे से एक रहा है जिससे उत्तराखंड के पर्यटन को पंख लगे। इसलिए न केवल जनता के लिए इसका धार्मिक महत्व था बल्कि विकास के नजरिये से भी इसे सहराया गया और इतना सहराया गया कि बीजेपी को बंपर जीत मिली। इसके अलावा जो आखिरी और बड़ा कारण प्रदेश मे भाजपा के जीतने के पीछे रहा वो है भ्रष्टाचार का मुद्दा

भ्रष्टाचार का मुद्दा – दरअसल, 5 साल के भाजपा के कार्यकाल मे कोई ऐसा भ्रष्टाचार का बड़ा मामला देखने को नही मिला जैसे मुद्दे हरीश रवात की सराकर के दौरान देखने को मिले थे। हां खनन के मामले मे जरुर धामी सरकार बार बार घिरी लेकिन घपलें, घोटाले, भ्रष्टाचार और स्टिंग आपरेशन ये तमाम टैग फिर भी कांग्रेस के माथे ही लगे रहे जिसकी वजह से तब पूर्व मुख्यमंत्री को हार का मुह भी देखना पड़ा था। तो आप कह सकते हैं कि ये भी एक बड़ी वजह है भाजपा के सत्ता मे लौटने की। हालाकि जीत का सफऱ सिर्फ अपने बदौलत तय नही किया है पार्टी ने, विपक्ष ने भी पूरा साथ दिया है अपने विपक्ष का जीतने मे । 5 सबसे बड़े कारण क्या है कांग्रेस की नाकामी के पीछे जो भाजपा को जीत के और करीब ले गए अब उस पर एक नजर –

कांग्रेस नाकाम क्यों – 5 कारण

1. कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण है उनके मुख्यमंत्री चेहरे पर पड़ा पर्दा। पूरे चुनाव मे पार्टी ये ही तय नही कर पाई कि आखिर सत्ता मिलने पर गददी किसको मिलेगी? पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कईं जगाहों पर अपने सीएम बनने की पैरवी करते दिखे, उनहोने तो घर बैठने तक की बात कर दी थी लेकिन तब भी नाम पर सहमति नही बनी। उनके ही संगठन के बाकी नेता और खुद हाईकमान भी सामूहिक नेतृत्व पर चुनाव लड़ने का सुर अलापते रहे। इसकी सबसे बड़ी वजह हालाकि एक ही पार्टी मे बंटे दो गुट हैं और यही अंतर्कलह दल की पराजय का दूसरा बड़ा कारण हैं।
2. अंतर्कलह- उत्तराखंड कांग्रेस में भीतरी मतभेद कुछ ज्यादा ही रहा। दो गुट जो एक दूसरे के धुर विरोधी हो गए थे। एक पाले मे रहे हरीश रावत एंड पार्टी और दूसरी तरफ खड़े थे नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और उनका खेमा। हालाकि किसी तरह की लड़ाई से दोनो इंकार करते रहे लेकिन पूरा प्रदेश जानता है कि दोनो ही सीएम बनने की रेस मे थे अगर कांग्रेस गद्दी तक पहुंच पाती तो जो हो नही पाया। यानी जब साथ खड़े होने की जरुरत थी तब दल के दिगगज एक दूसरे मे उलझे हुए थे। नईं वापसियों को लेकर भी दल मे खिटपिट थी, इसकी एक झलक हरक सिंह रावत को पार्टी मे वापस लेते समय देखने को मिली थी। खैर तीसरे कारण पर बढते हैं जो है टिकट बंटवारे मे हुई गलतियां
3. टिकट बंटवारे मे चूक– जानकारों की मानें तो एक बहुत बड़ी चूक पार्टी से टिकट बंटवारे मे हुई है। उनका मानना तो ये भी है कि टिकट बंटवारे से पहले तक प्रदेश मे कांग्रेस की लहर तेज थी इसी वजह से अपनी दूसरी सूची के नामों में दल ने फेर बदल भी किया था लेकिन डैमैज कंट्रोल फिर भी करने मे नाकामयाब रही। उपर से परिवारवाद की छाया भी फैसलों मे देखने को मिली। कार्यकर्ता बाहरी लोगों को टिकट देने के खिलाफ थे बावजूद इसके हरक सिंह रावत की बहु अनुकृति गुसांई को लैंस़डाउन से टिकट दिया गया। यही नही हरिश रावत के साथ साथ उनकी बेटी का भी टिकट फाइनल हुआ । इससे हुआ ये की फूट पड़ी और कांग्रेस में टिकट कटने पर कई दावेदार निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर गए। सच्चाई ये भी है कि टिकट बंटवारे के दौरान प्रीतम सिंह और हरीश रावत फिर आमने सामने आ गए थे। राज्य की करीब एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर हरीश रावत गुट और प्रीतम गुट मे भितरी लड़ाई रही, नतीजन आज 18 सीटों पर सीमट गए। इसके अलावा कांग्रेस कीओर से प्रचार भी बेहद सुस्त रहा।
4. सुस्त प्रचार – ये गलती हालाकि किसी एक की नही है भाजपा के पास प्रचाक के नाम पर सबसे बड़ा हथियार पीएम मोदी हैं। उनके अलावा अमित शाह, जे पी नड्डा और सीएम योगी जैसै दिग्गज भी प्रदेश मे दहाडड़ने आए । 30 स्टार प्रचारक यकीकन स्टार थे राजनीति के दूसरी ओर कांग्रेस के स्टार प्रचारक गिनती के थे जिसमे गरजने वालों मे बडा नाम बस राहुल गांधी और प्रियंका गंधी का रहा। राज्य स्तर पर तो सिर्फ हरीश रावत ही प्रचार करते दिखे तो सुस्त प्रचार भी हार का कारण माना जा सकता है। इसके अलावा कांग्रेस का घोषणा पत्र भी कमजोर दिखा।
5. कमजोर घोषणा पत्र- कांग्रेस ने इस बार चुनावी घोषणा पत्र चार धाम चार काम के तहत बनाया जिसमें , प्रदेश के पांच लाख परिवारों को प्रतिवर्ष 40 हजार रुपये, गैस सिलिंडर के दाम 500 रुपये में स्थिर करने, चार लाख नए रोजगार सृजित करने और हर गांव, हर द्वार तक मेडिकल सुविधा और डॉक्टर उपलब्ध कराया जाने का दावा पार्टी ने किया। पर भाजपा के बड़े बड़े दावों के आगे ये पैतरा भी पार्टी का फेल पड़ गया बल्कि बीजेपी ने कांग्रेस को उल्टा इस पर घेर लिया। और ऐसा घेरा कि सत्ता से कोसों दुर विपक्ष को खदेड़ दिया।

यानी पूरे एक नही दो नही पूरे 10 कारण भाजपा की कामयाबी की कहानी लिख गए औऱ इसी के साथ भाजपा ने एक बार फिर उत्तराखँड मे ऐतिहासिक जीत दर्ज की। कांग्रेस भी हार कूबूवृल कर चूकी है क्योंकि शायद जानती है कि अपनी कमियों ने बीजेपी के इस कारनामे को बल दिया है….

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