देहरादून। उत्तराखंड में अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में एक बड़े और हैरान करने वाले घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। जालसाजों ने कागजों पर एक ‘सरस्वती शिशु मंदिर’ को अल्पसंख्यक विद्यालय या मदरसा दिखाकर केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति की राशि हड़प ली। मामला सामने आते ही हड़कंप मच गया और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए तत्काल एक उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
यह पूरा मामला तब सामने आया जब उधम सिंह नगर जिले में 2021-22 और 2022-23 के दौरान राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर दर्ज आवेदनों की प्रामाणिकता की जांच शुरू हुई। जिले के 796 बच्चों के दस्तावेजों की जांच के दौरान 6 मदरसों और शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले 456 बच्चों के बारे में दी गई जानकारी संदिग्ध पाई गई।
सरस्वती शिशु मंदिर के नाम पर हुआ फर्जीवाड़ा
इस जांच की सबसे चौंकाने वाली कड़ी किच्छा का ‘सरस्वती शिशु मंदिर हाई स्कूल’ है। राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर इस स्कूल को एक अल्पसंख्यक संस्थान के रूप में दिखाया गया है और इसका संचालक मोहम्मद शारिक-अतीक को बताया गया है। पोर्टल के अनुसार, यहां 154 मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं, जिनके नाम पर छात्रवृत्ति जारी की गई। यह देखकर सरकार भी हैरान रह गई, क्योंकि सरस्वती शिशु मंदिर अल्पसंख्यक विद्यालय नहीं होते हैं। इसी के बाद मुख्यमंत्री धामी ने इस मामले की गहनता से जांच करने के निर्देश दिए।
कई और मदरसे भी जांच के दायरे में
यह फर्जीवाड़ा सिर्फ एक स्कूल तक ही सीमित नहीं है। जांच के दायरे में कई और मदरसे और संस्थान भी आ गए हैं। इनमें काशीपुर की नेशनल अकादमी (125 छात्र), मदरसा अल जामिया उल मदरिया (27 बच्चे), बाजपुर का मदरसा अल्बिया रफीक उल उलूम (39 बच्चे), गदरपुर का मदरसा जामिया आलिया (24 बच्चे) और बाजपुर का ही मदरसा जामिया रजा उल उलूम (85 बच्चे) शामिल हैं। इन सभी संस्थानों, उनके संचालकों और वहां दर्ज छात्रों के दस्तावेजों का गहन सत्यापन करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
CM ने दो हफ्तों में मांगी रिपोर्ट
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री धामी ने जांच का दायरा पूरे राज्य तक बढ़ा दिया है। उन्होंने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते को इस पूरे मामले की जांच सौंपते हुए दो हफ्तों के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है। जांच में सभी अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के आवेदकों, उनके बैंक खातों, संचालकों और विद्यार्थियों का भौतिक सत्यापन किया जाएगा।
इस संबंध में विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि सरस्वती शिशु मंदिर के नाम पर छात्रवृत्ति लेने का मामला सामने आने के बाद अन्य मदरसों के आवेदनों पर भी संदेह गहरा गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशों पर पूरे राज्य में जांच की जा रही है और केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालय से भी इस विषय में संवाद किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “राज्य में राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल में दी गई आवेदकों की जानकारी संदेहजनक प्रतीत हुई है, जिसमें सरस्वती शिशु मंदिर के नाम से छात्रवृत्ति का प्रकरण भी सामने आया है… देवभूमि में भ्रष्टाचार के मामलों को किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
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