नई दिल्ली। भारत और न्यूजीलैंड के बीच व्यापारिक रिश्तों को एक नई ऊंचाई देते हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी एफटीए पर मुहर लग गई है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन कॉल के जरिए न्यूजीलैंड के साथ इस डील को पक्का किया था। इस समझौते के बाद न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने इसे एक लैंडमार्क डील करार दिया है। उनका कहना है कि इस समझौते का सीधा मतलब है कि अब दोनों देशों में ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी और लोगों की आय में बढ़ोतरी होगी। लक्सन ने उम्मीद जताई कि नए एफटीए डील के जरिए भारतीय बाजारों में अधिक से अधिक निर्यात संभव हो सकेगा।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए न्यूजीलैंड के पीएम ने लिखा कि उन्होंने वादा किया था कि वे अपने पहले कार्यकाल में भारत के साथ एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट जरूर करेंगे और उन्होंने इसे पूरा कर दिखाया है। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक समझौते का मतलब है कि 1.4 बिलियन भारतीय उपभोक्ताओं के लिए दरवाजे खुलेंगे जिससे अधिक नौकरियां, अधिक इनकम और अधिक एक्सपोर्ट का रास्ता साफ होगा।
गौरतलब है कि 22 दिसंबर को भारत और न्यूजीलैंड ने एक व्यापक, संतुलित और भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस एफटीए पर हस्ताक्षर किए हैं। इसे इंडो पैसिफिक रीजन में भारत की भागीदारी के लिए एक बड़ा आर्थिक और रणनीतिक मील का पत्थर माना जा रहा है। यह एफटीए भारत के अब तक के सबसे तेजी से पूरे हुए समझौतों में से एक है जो विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय विजन के साथ मेल खाता है। इसकी बातचीत 16 मार्च 2025 को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और न्यूजीलैंड के व्यापार मंत्री टॉड मैक्ले के बीच हुई बैठक से शुरू हुई थी।
हालांकि इस समझौते को लेकर न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने अपनी आपत्ति भी जताई थी। उन्होंने इसे न तो स्वतंत्र और न ही निष्पक्ष बताया था। उनका तर्क था कि न्यूजीलैंड भारतीय उत्पादों के लिए अपना बाजार पूरी तरह खोल रहा है लेकिन भारत ने डेयरी उत्पादों पर टैरिफ कम करने पर सहमति नहीं दी है जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है।
बावजूद इसके एफटीए के तहत दोनों देशों के बीच व्यापार के दौरान 100 प्रतिशत टैरिफ लाइनों को खत्म कर दिया गया है। इसका मतलब है कि सभी भारतीय निर्यातों को ड्यूटी फ्री एक्सेस मिलेगा। भारतीय वाणिज्य मंत्रालय का कहना है कि इस मार्केट एक्सेस से टेक्सटाइल, लेदर, फुटवियर, जेम्स और ज्वेलरी, हैंडीक्राफ्ट्स और ऑटोमोबाइल्स जैसे सेक्टरों की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इसका सीधा फायदा भारतीय कामगारों, कारीगरों, महिलाओं और युवाओं को मिलेगा और वे ग्लोबल वैल्यू चेन का हिस्सा बन सकेंगे।