नई दिल्ली। भारतीय रक्षा बलों की ताकत को बढ़ाने और उन्हें किसी भी चुनौती के लिए तैयार करने के उद्देश्य से रक्षा मंत्रालय की रक्षा अधिग्रहण परिषद यानी डीएसी ने एक बड़ा फैसला लिया है। शुक्रवार को हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में डीएसी ने उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जिसके तहत रक्षा बलों को आपातकालीन खरीद शक्तियों का उपयोग करते हुए अगले साल 15 जनवरी तक अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने की अनुमति मिल गई है। इससे पहले यह समय सीमा 19 नवंबर तक ही थी जिसे अब बढ़ा दिया गया है। ये विशेष शक्तियां रक्षा बलों को ऑपरेशन सिंदूर के बाद दी गई थीं ताकि वे भविष्य में होने वाले किसी भी संघर्ष के लिए पूरी तरह से तैयार रहें।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक इस फैसले के बाद सेना द्वारा अमेरिका से जेवलिन एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों और एक्सकैलिबर प्रेसिजन गाइडेड आर्टिलरी गोला बारूद जैसी अत्याधुनिक और घातक युद्धक सामग्रियों की खरीद का रास्ता साफ हो गया है। उम्मीद है कि जल्द ही इन प्रमुख रक्षा परियोजनाओं पर हस्ताक्षर कर दिए जाएंगे। सरकार ने बजट में रक्षा बलों के लिए आवंटित पूंजीगत खर्च का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा आपातकालीन खरीद के लिए उपयोग करने की छूट दी है जो एक बड़ी राशि है।
मंत्रालय ने खरीद प्रक्रिया में देरी को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। साफ कर दिया गया है कि आपातकालीन खरीद मामलों में किसी भी तरह की लेटलतीफी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के एक साल के भीतर डिलीवरी नहीं होती है तो डिफाल्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सैन्य क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए डीएसी की सोमवार को एक और बैठक होने वाली है जिसमें कई अन्य प्रमुख प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी।
वहीं दूसरी तरफ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। सरकारी टेलीविजन पर देश को संबोधित करते हुए पुतिन ने बताया कि यूक्रेन युद्ध के दौरान बीते चार वर्षों में रूस ने अपने हथियारों और गोला बारूद का उत्पादन 22 गुना तक बढ़ा दिया है। उन्होंने बताया कि टैंकों का उत्पादन दोगुना से ज्यादा हो गया है जबकि सैन्य विमानों के उत्पादन में 4.6 गुना की वृद्धि हुई है। रूसी सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर पुतिन का कहना है कि यूक्रेन में चल रही लड़ाई का स्वरूप बदलता जा रहा है इसलिए हथियारों और उपकरणों का उत्पादन बढ़ाना जरूरी हो गया था।