SC: छठी इंद्रिय का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की रेप के आरोपी की सजा और शादीशुदा जिंदगी का दिया तोहफा – The Hill News

SC: छठी इंद्रिय का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की रेप के आरोपी की सजा और शादीशुदा जिंदगी का दिया तोहफा

नई दिल्ली। रेप केस में दस साल की सजा काट रहे एक युवक के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसी चमत्कार से कम नहीं है। देश की सर्वोच्च अदालत ने एक अनोखे मामले की सुनवाई करते हुए अपनी छठी इंद्रिय यानी सिक्सथ सेंस के आधार पर एक बड़ा और मानवीय फैसला सुनाया है। कोर्ट ने माना कि आरोपी और पीड़िता ने आपसी सहमति से संबंध बनाए थे लेकिन बाद में रिश्तों में खटास आने के कारण पीड़िता ने युवक पर रेप का झूठा आरोप लगा दिया था। इसी आरोप के चलते निचली अदालत ने युवक को दस साल की सजा सुना दी थी जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।

यह मामला मध्य प्रदेश का है जहां आरोपी जेल में बंद था। उसने अपनी सजा खत्म करने की गुहार लगाते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन वहां से उसे निराशा हाथ लगी और उसकी याचिका खारिज कर दी गई। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने इस केस को गंभीरता से लिया और मध्य प्रदेश पुलिस को आदेश दिया कि आरोपी को पुलिस सुरक्षा में सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किया जाए।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक बहुत ही अलग तरीका अपनाया। जजों ने न केवल आरोपी और पीड़िता से बात की बल्कि दोनों के परिवारों से भी विस्तार से चर्चा की। कोर्ट को पता चला कि जुलाई में जमानत मिलने के बाद आरोपी और पीड़िता ने आपस में शादी कर ली है और अब वे एक खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि यह एक अनोखा केस है और उनकी छठी इंद्रिय इस नतीजे पर पहुंची है कि यह जोड़ा साथ रह सकता है और खुश रह सकता है।

इस मामले की सुनवाई में करीब 9 महीने का लंबा वक्त लगा। कोर्ट ने मार्च में नोटिस जारी किया था और अब दिसंबर में जाकर अंतिम फैसला आया है। जुलाई में जब सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका मंजूर की थी उसके बाद ही दोनों ने शादी कर ली थी। अब जब कोर्ट को यह विश्वास हो गया कि दोनों साथ में खुश हैं तो उसने रेप की सजा को रद्द करते हुए केस को हमेशा के लिए खत्म करने का फैसला सुनाया। इस फैसले ने यह साबित कर दिया है कि कानून की किताबों से परे जाकर भी न्याय की मानवीय दृष्टि हो सकती है।

 

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