नई दिल्ली: देशभर के कुछ राज्यों में इन दिनों विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का कार्य जोर-शोर से चल रहा है। इसी बीच पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश से बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) की मौतों की खबरें सामने आई हैं, जिसके पीछे एसआईआर कार्य से जुड़े अत्यधिक दबाव को कारण बताया जा रहा है। इन घटनाओं ने चुनाव आयोग के इस विशेष अभियान के क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में बूथ लेवल अधिकारी के रूप में कार्यरत रिंकू तरफदार का शव उसके घर से मिला। परिवारजनों ने आरोप लगाया है कि रिंकू एसआईआर कार्य से जुड़े अत्यधिक तनाव में थी, जिसके चलते उसने आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार, उसका शव छपरा के बंगालझी इलाके में कृष्णानगर स्थित उसके घर के कमरे में छत से लटका मिला। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि परिवार ने एसआईआर के भारी कार्यभार को दबाव का कारण बताया है। घटनास्थल से एक सुसाइड नोट भी मिला है, और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, जांच जारी है।
इससे पहले, जलपाईगुड़ी जिले में भी एक बूथ-लेवल अधिकारी फंदे से लटकी मिली थी, उसके परिवार ने भी मौत के लिए “एसआईआर का बहुत ज्यादा काम का दबाव” जिम्मेदार ठहराया था। इन घटनाओं के बाद, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से बंगाल में चल रहे एसआईआर को रोकने की अपील की। उन्होंने सीईसी को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि लगातार “बिना योजना के और जबरदस्ती की कार्रवाई” से और जानें खतरे में पड़ सकती हैं और इस काम की निष्पक्षता भी प्रभावित हो सकती है।
मध्य प्रदेश के दमोह और रायसेन जिलों से भी दो बीएलओ की मौत की खबरें सामने आई हैं। उनके परिवारजनों ने भी एसआईआर के बढ़ते कार्यभार को ही मौत का कारण बताया है। शुक्रवार देर रात जिन दो बीएलओ की मृत्यु हुई, उनकी पहचान रमाकांत पांडे और सीताराम गोंड (50) के रूप में हुई है, जो क्रमशः रायसेन और दमोह जिलों में कार्यरत थे।
मृतक रमाकांत पांडे के परिवार ने बताया कि एसआईआर के कारण उन पर बहुत अधिक काम का दबाव था, जिसके चलते वे रात को ठीक से सो भी नहीं पाते थे। गुरुवार रात करीब 9.30 बजे एक ऑनलाइन मीटिंग में शामिल होने के बाद, वे बाथरूम जाने के तुरंत बाद गिर पड़े। उन्हें पहले भोपाल के नोबल अस्पताल ले जाया गया और फिर एम्स, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। भोजपुर विधानसभा क्षेत्र के उप-विभागीय अधिकारी और निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी, चंद्रशेखर श्रीवास्तव ने बताया कि रमाकांत पांडे सतलापुर इलाके के एक शिक्षक थे और मंडीदीप में मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान पर काम कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पांडे की मौत की सही वजह जानने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है।
इन मौतों के अलावा, रायसेन जिले से एक और बूथ लेवल अधिकारी, नारायण दास सोनी, पिछले छह दिनों से लापता हैं। वे भव्य सिटी में रहने वाले एक शिक्षक हैं और बिना किसी को बताए घर से चले गए थे। अधिकारी ने बताया कि पुलिस और सोनी के परिवार वाले उनकी तलाश कर रहे हैं।
इन घटनाओं ने बूथ लेवल अधिकारियों पर एसआईआर कार्य के अत्यधिक दबाव और इसके मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों को उजागर किया है। यह आवश्यक है कि चुनाव आयोग इस अभियान की समीक्षा करे और कार्यभार को कम करने तथा अधिकारियों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाए।
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