Uttarakhand: बागेश्वर की कमस्यार घाटी में वन्यजीवों का आतंक, भालू और गुलदार ने बढ़ाई ग्रामीणों की चिंता – The Hill News

Uttarakhand: बागेश्वर की कमस्यार घाटी में वन्यजीवों का आतंक, भालू और गुलदार ने बढ़ाई ग्रामीणों की चिंता

बागेश्वर, उत्तराखंड। बागेश्वर जिले की कमस्यार घाटी में वन्यजीवों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे स्थानीय ग्रामीणों में भारी दहशत का माहौल है। हाल ही में एक गुलदार द्वारा गांव की एक महिला का पीछा करने की घटना के बाद, अब दो शावकों के साथ भालू की धमक ने ग्रामीणों की चिंता और बढ़ा दी है। इस घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम सक्रिय हो गई है।

ग्राम प्रधान चंतोला हीरा देवी, भैसूड़ी के गणेश राठौर, खिड़वाकोट के पवन कुमार और गोविंद सिंह बोरा ने बताया कि गुरुवार को भालू अपने दो शावकों के साथ चौकोड़ी के जंगल से झंडीधार होते हुए कमस्यार घाटी पहुंचा। देर शाम खिड़वाकोट निवासी गोविंद की पत्नी के पीछे भी भालू दौड़ पड़ा। महिला ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई और घर पहुंची। ग्रामीणों ने बताया कि इसके बाद भालू रातभर चंतोला, खिड़वाकोट और भैसूड़ी गांवों के आसपास चहलकदमी करता रहा। भालू कई घरों के आंगन तक पहुंच गया, जिससे लोग दहशत में अपने घरों में दुबककर बैठे रहे और रातभर सो नहीं पाए। यह घटनाएं ग्रामीणों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं, क्योंकि उनके बच्चों और मवेशियों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।

वन विभाग ने बढ़ाई गश्त, लोगों से अकेले न जाने की अपील

वन्यजीवों के आतंक की सूचना ग्रामीणों ने तुरंत वन विभाग को दी। सूचना मिलने पर धरमघर रेंज के वन कर्मी लक्ष्मी दत्त जोशी, सूरज उपाध्याय, वन बीट अधिकारी पवन मेहरा और वन दरोगा सुरेंद्र डसीला शुक्रवार को मौके पर पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर कई गांवों में सघन सर्च अभियान चलाया, लेकिन भालू का कोई पता नहीं चल पाया।

वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे अकेले जंगल या सुनसान रास्तों पर न जाएं, खासकर सुबह और शाम के समय। विभाग ने ग्रामीणों से सतर्क रहने और किसी भी वन्यजीव को देखने पर तत्काल वन विभाग को सूचित करने को कहा है। वन विभाग ने क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी है और ग्रामीणों को सुरक्षित रहने के उपाय बताए जा रहे हैं। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि सिर्फ गश्त से काम नहीं चलेगा और भालू और गुलदार को पकड़कर जंगल के अधिक गहरे इलाकों में छोड़ने की आवश्यकता है ताकि ग्रामीणों को स्थायी राहत मिल सके। यह घटना कमस्यार घाटी में मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती समस्या को उजागर करती है, जिस पर तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।

 

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