Russia: भारत के तेल आयात में रूस का दबदबा कायम, लेकिन डिस्काउंट घटने से अन्य स्रोतों की ओर रुझान

नई दिल्ली: रूस सितंबर 2025 में भारत के लिए कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, जिसने कुल आपूर्ति का 34% हिस्सा प्रदान किया. हालांकि, कमोडिटीज और शिपिंग मार्केट ट्रैकर केपलर की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के पहले आठ महीनों में रूसी तेल के आयात में 10% की गिरावट दर्ज की गई है.

सितंबर में भारत ने 45 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) से अधिक कच्चा तेल आयात किया, जो अगस्त की तुलना में 70,000 बैरल अधिक था, लेकिन पिछले साल की समान अवधि की तुलना में यह स्थिर रहा. इस कुल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी 16 लाख बीपीडी थी.

अक्टूबर में भारत के कुल कच्चे तेल आयात में रूसी तेल की मात्रा 16 लाख बीपीडी रही, जो 2025 के पहले आठ महीनों के औसत से 1.8 लाख बैरल कम है. केपलर की रिपोर्ट बताती है कि यह कमी बाजार की गतिशीलता के कारण हुई है, न कि अमेरिकी टैरिफ की धमकी या यूरोपीय आलोचनाओं की वजह से.

तेल की कीमतों में गिरावट के कारण रूसी कच्चे तेल पर मिलने वाला डिस्काउंट लगभग 2 डॉलर प्रति बैरल तक कम हो गया है. इससे भारतीय रिफाइनरों के लिए पश्चिम एशिया, अफ्रीका और अमेरिका जैसे अन्य स्रोतों से तेल खरीदने के अवसर बढ़ गए हैं, जो विभिन्न प्रकार के कच्चे तेल को प्रोसेस करने में सक्षम हैं. मानसून के दौरान डीजल जैसे ईंधन की मांग में कमी ने भी रूसी तेल से थोड़ा ध्यान हटाने में योगदान दिया, क्योंकि डिस्काउंट की राशि कम हो गई थी.

केपलर की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी तेल भारतीय रिफाइनरों के लिए सबसे किफायती विकल्पों में से एक बना रहेगा. इसका मुख्य कारण रूसी तेल का उच्च ग्रॉस प्रोडक्ट मार्जिन (जीपीडब्ल्यू) और अन्य विकल्पों की तुलना में मिलने वाला डिस्काउंट है. अक्टूबर-दिसंबर के त्योहारी सीजन में ईंधन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए रिफाइनरी संचालन तेज होने की उम्मीद है, जिससे रूसी तेल की मांग बनी रहेगी.

भारत की तेल खरीद नीति बाजार की गतिशीलता पर आधारित है. रूसी तेल की हिस्सेदारी भले ही थोड़ी कम हुई हो, लेकिन इसकी आर्थिक व्यवहार्यता इसे भारतीय रिफाइनरों के लिए एक पसंदीदा विकल्प बनाए रखेगी.

 

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